22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समझें पर्यावरण का मोल

हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है. पर्यावरण के प्रति सरकार और लोगों की बढ़ती लापरवाही के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ता ही जा रहा है. सिमटते जंगलों और विभिन्न तरह के प्रदूषण के कारण पर्यावरण असंतुलन की स्थिति गंभीर रूप लेती जा रही है. पर्यावरण का मतलब केवल पेड़-पौधे लगाना ही […]

हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है. पर्यावरण के प्रति सरकार और लोगों की बढ़ती लापरवाही के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ता ही जा रहा है. सिमटते जंगलों और विभिन्न तरह के प्रदूषण के कारण पर्यावरण असंतुलन की स्थिति गंभीर रूप लेती जा रही है. पर्यावरण का मतलब केवल पेड़-पौधे लगाना ही नहीं है, बल्कि, भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण को भी रोकना है. पर्यावरण असंतुलन से जलवायु परिवर्तन का खतरा हमारे सिर पर मंडरा रहा है. कई जीव-जंतु और वनस्पतियां खत्म हो रही हैं.

पर्यावरण की समस्या से निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में स्वीडन में विश्व के 119 देशों के साथ पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था. यूएनए ने नवंबर, 1976 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम को लागू किया. इसमें पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित किये गये. पर्यावरण असंतुलन के कारण ही सुनामी और भयंकर आंधी तूफान आते हैं. धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है , जिसके कारण पशु-पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्त हो गयी हैं.

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव
पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव सिर्फ हम मानव ही नहीं ङोल रहे हैं, बल्कि हमसे पहले पेड़-पौधे और जीव-जंतु को ङोलना पड़ रहा है. बढ़ते प्रदूषण से हम कई जीव-जंतुओं को खो रहे हैं या खोने के कगार पर खड़े हैं. रही बात हमारे शरीर की तो शरीर के कुछ हिस्से पर्यावरण परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. पर्यावरण में फैले प्रदूषण के कारण कई बीमारियां शुरू हो जाती हैं. अगर हमें आने वाले पीढ़ी को संरक्षित रखना है, तो हमारे पास अब भी बहुत वक्त है. हम सब चाहें तो पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर हम इस पर्यावरण असंतुलन को कम कर सकते हैं.

प्रदूषण के प्रकार
भूमि प्रदूषण
पर्यावरण संतुलन के लिए भूमि प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है. वनों का कटाव, रसायनिक खादों का ज्यादा प्रयोग और कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण भूमि प्रदूषण फैलता है. इसके कारण हम जो खाद्य-पदार्थ खाते हैं, वह शुद्ध नहीं होता है. जिससे पेट से जुड़ी हुई कई बीमारियां शुरू हो जाती हैं.
जल प्रदूषण
पूरी पृथ्वी का तीन-चौथाई हिस्से में पानी है, लेकिन केवल 0.3 प्रतिशत हिस्सा ही पीने के योग्य है. फैक्ट्रियों और घरों से निकलने वाले कूड़े का पानी सीधे नदियों में छोड़ा जाता है ,जिसके कारण कई नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं.
वायु प्रदूषण
जिंदगी के लिए ऑक्सीजन बेहद आवश्यक है. पेड़ों की कटाई और बढ़ रहे वायु प्रदूषण के कारण हवा से ऑक्सीजन की मात्र कम हो रही है. घरेलू ईंधन, वाहनों से निकलते धुएं और वाहनों के बढ़ते प्रयोग इसके लिए जिम्मेदार हैं.
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या है. आये दिन मशीनों, लाउडस्पीकरों और गाड़ियों के हॉर्न ने ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाया है. पारिवारिक और धर्मिक कार्यक्र मों में लोग लाउडस्पीकर बहुत तेजी से बजाते हैं. ध्वनि प्रदूषण के कारण कान से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें