मॉस्को/श्यामन(चीन) : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने मंगलवारको अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना से परहेज करते हुए कहा कि ट्रंप ‘उनकी दुल्हन नहीं हैं और वह उनके दूल्हा नहीं’ हैं. एक प्रेस कॉंफ्रेंस में पुतिन ने पत्रकारों के इस सवाल को भी खारिज कर दिया कि क्या वह ट्रंप के ‘अनुभवहीन’ होने से निराश हैं. यह पूछे जाने पर कि अगर ट्रंप पर महाभियोग चलाया जाता है तो रूस को कैसा महसूस होगा, इस पर पुतिन ने कहा कि अमेरिका की घरेलू राजनीति पर चर्चा करना रूस के लिए ‘बेहद गलत’ होगा. पिछले साल जब ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे तो रूसी अधिकारियों ने काफी खुशी जाहिर की थी. पुतिन ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा था कि वह रूस के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं. हालांकि, रूस पर पहले से ज्यादा अमेरिकी प्रतिबंध लगने और रूसी वाणिज्यिक दूतावास बंद करने के अमेरिका के फैसले ने दोनों देशों की दूरियां बढ़ने की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध मसले पर मतभेद
वहीं,श्यामन से मॉस्को रवाना होने से पहले पुतिन ने चेताया कि उत्तर कोरिया के मसले का जब तक कूटनीतिक समाधान नहीं होता है, तब तक वैश्विक तबाही का खतरा बना रहेगा. हालांकि, उन्होंने उत्तर कोरिया पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी अपील को ‘बेकार’ करार दिया, जिसे प्योंगयांग से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर दुनिया की दो महाशक्तियों में मतभेद के तौर पर देखा जा रहा है. पुतिन की टिप्पणियों से लग रहा है कि संयुक्त राष्ट्र में भिड़ंत को लेकर रेखाएं खिंच गयी हैं, जिसमें मॉस्को और चीन एक तरफ होंगे और दूसरी तरफ अमेरिका एवं उसके सहयोगी देश. अमेरिका ने सोमवार को मांग की थी कि उत्तर कोरिया की ओर से हाइड्रोजन बम के परीक्षण के मुद्दे पर उसके खिलाफ ‘कठोरतम संभावित कदम’ उठाये जायें. इस आह्वान के बाद उत्तर कोरिया के प्रतिबंधित हथियार कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जारी उसका गतिरोध और गहराता नजर आया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उत्तर कोरिया पर अब तक सात तरह के प्रतिबंध लगा चुका है.
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ-साथ सुरक्षा परिषद के सदस्य फ्रांस और ब्रिटेन ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की है. हालांकि, पुतिन ने साफ कर दिया कि रूस और ज्यादा प्रतिबंध लगाये जाने के खिलाफ है. जबकि चीन, जिसे उत्तर कोरिया का संरक्षक और सबसे करीबी राजनीतिक एवं आर्थिक साझेदार माना जाता है, ने अब तक इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है, लेकिन लगता है कि वह प्योंगयांग पर दबाव कायम करने का प्रतिरोध करेगा. चीन में एक अंतरराष्ट्रीय सभा के बाद पुतिन ने कहा कि रूस उत्तर कोरिया के ‘उकसावेवाले कदम’ की निंदा करता है. हालांकि, उन्होंने वार्ता का आह्वान किया और ऐसी किसी कार्रवाई से परहेज करने को कहा जिससे संकट बढ़ता हो. ‘ब्रिक्स’ शिखर सम्मेलन के बाद चीन के श्यामन शहर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘ऐसे हालात में किसी तरह का प्रतिबंध लगाना बेकार और निष्प्रभावी है. इससे वैश्विक तबाही हो सकती है और बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हो सकते हैं.’