1970 के वेनेज़ुएला और उसकी राजधानी काराकास की बात देखते ही बनती थी. यहां की इमारतें आधुनिकता और प्रतिष्ठा के प्रतीक मानी जातीं थीं.
काराकास में कारों से भरी चौड़ी सड़कें और कलाकारी के नमूने कहे जाने वाले गगनचुंबी इमारतें लोगों को आकर्षित करती थीं.
1960-70 के दशक में कच्चे तेल से होने वाली आय के कारण काराकास को लातिन अमरीका के सबसे आधुनिक शहरों में शुमार किया जाता था. इस मंगलवार को काराकास की स्थापना के 450 साल पूरे हो गए हैं.
जब 1983 में टेरेसा कारेनो थिएटर का उद्घाटन हुआ ये लातिन अमरीका की बेहतरीन वास्तुकला के नमूनों में से एक था.
लेकिन 20 सदी की शुरुआत में इस शहर को उसी मायनों में आधुनिक नहीं कहा जा सकता. आज ये देश आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है और सालों पहले बने इस इमारतों के रखरखाव के लिए जूझ रहा है.
1950 में बने ये 32 मंज़िला टावर शहर के पहले गगनचुंबी इमारत थे. काराकास से बीचोंबीच बने इन ट्विन टावर के 32 मंज़िल 100 मीटर से अधिक ऊंचे थे.
‘टावर्स ऑफ़ द साइलेंस’ कहे जाने वाली इन इमारतों को गांवों से भरे देश के आधुनिक शहरों की तरफ बढ़ने की पहली कड़ी माना गया.
वास्तुकार रिकार्डो कैस्टिलो के अनुसार, "इन दो इमारतों ने काराकास को ही बदल दिया. ये शहर की पहली सबसे ऊंची इमारतें थीं और देश की सबसे पहली स्टील से बनी इमारतें थी."
1954 में सिमोन बोलिवर सेंटर को शहर के मुख्य लैंडमार्क मान जाता था. आज भी ये इमारत देश के राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक जीवन की गवाह बनी हुई है.
इस इमारत को साल 1950 के दशक में बनाया गया था लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सका.
आज ये अधूरी इमारक बोलिवारियन इंटेलिजेंस सर्विस, सेबिन का मुख्यालय है और यहां के जेलों में क़ैदियों पर कई तरह के ज़ुल्म किए गए थे.
इस इमारत को देश के सबसे बड़े व्यवसायिक केंद्र के रूप में बनाया जा रहा था जहां इस इमारत में ही 4 किलोमीटर का रैंप मौजूद था. इसमें होटल, थिएटर, दुकानों और दफ्तरों की कल्पना की गई थी.
रिकार्डो कैस्टिलो बताते हैं, "ये एक शहर के भीतर एक अन्य शहर बनाने की, बहुत बड़ी कल्पना थी."
द हेलिकॉएड की एक तरफ रिहायशी इलाका है जो इससे सटा मालूम पड़ता है.
1959 में जब चिली के कवि ने यहां आए थे उन्होंने कहा था कि ये ‘किसी वास्तुकार के दिमाग से पैदा हुई ये सबसे सुंदर रचना में से एक है.’ धन की कमी के कारण इसे बनाने के काम को बीच में ही रोकना पड़ा था.
1970 के दौर में वेनेज़ुएला को ‘सऊदी वेनेज़ुएला’ कहा जाता था. 1969 में यहां 10 टावर बनाने के लिए काम शुरू हुआ जिसमें से 8 रिहायशी इमारतें थीं और 2 दफ्तरों के लिए बनाए गए थे.
1983 में जब ये इमारतें बनकर तैयार हुईं इन्हें ‘शहर की पहचान’ के तौर पर देखा जाने लगा.
इन इमारतों को कामकाजी युवाओं के लिए बनाया गया था और इनके भीतर सभी तरह की सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी, कुछ इस तरह की इमारत में आने के बाद बाहर जाने की ज़रूरत महसूस ही ना हो.
काराकास एर तली घाटी के इलाके में बसा हुआ है. आशंका जताई जा रही था कि आर्थिक तरक्की के साथ ही देश की परिवहन की ज़रूरतें बढ़ेंगी और कारों की संख्या बढ़ने से सड़कों में ट्रैफ़िक की समस्या होगी.
इस समस्या के समाधान के रूप में 1980 के दशक में यहां मेट्रो रेल का काम शुरू किया गया था.
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