कोलकाता के फ़ोटोग्राफ़र सुजात्रो घोष की खींची तस्वीरें फिलहाल सोशल मीडिया पर खूब चर्चित हो रही हैं.
बावजूद इसके सुजात्रो को चेहरे पर इसका कोई गुमान नहीं. उनके माता-पिता दोनों शिक्षक हैं.
लेकिन सुजात्रो को इन तस्वीरों का ख्याल कैसे आया और उन्होंने इसके लिए गाय का मुखौटा ही क्यों चुना?
गाय राष्ट्रीय पशु बनी तो बाघ शाकाहारी हो जाएंगे?
इसके जवाब में कहते हैं कि बीते दिनों देश में गायों की रक्षा और बीफ़ के मुद्दे पर हुई हत्याओं के बाद उनको लगातार यह सवाल मथता रहता था कि आख़िर देश के लोग वह चीज क्यों नहीं खा सकते जो वे खाना चाहते हैं.
सुजात्रो कहते हैं, "हमारे देश में हर चीज को धार्मिक चश्मे से देखा जाता है. गाय का मुखौटा इसलिए चुना कि देश की राजनीति तब इसी के इर्द-गिर्द घूम रही थी."
कोलकाता जैसे महानगर में पलने-बढ़ने के दौरान उनको कभी धार्मिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा था.
लेकिन दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में स्टिल फ़ोटोग्राफ़ी एंड वर्चुअल कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान उनको समझ में आया कि कोलकाता और दिल्ली के सामाजिक नज़रिए में क्या अंतर है.
वो कहते हैं कि कोलकाता में तो हर चीज राजनीति के तराजू पर तौली जाती है लेकिन दिल्ली में राजनीति और धर्म के मिलेजुले तराजू पर. खासकर दादरी कांड के बाद उनको हिंदू और मुस्लिम का अंतर साफ़ नज़र आया.
एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में उनका न्यूयार्क जाना हुआ. वहां रहते हुए देश में घटने वाली घटनाओं को एक परिप्रेक्ष्य में रख कर देखने का प्रयास करते हुए उनके मन में सवाल पैदा हुआ कि क्या भारत में महिला की बजाय पशु बन कर जीना ज़्यादा सुरक्षित है?
वे कहते हैं कि ‘महिलाओं से छेड़खानी के दौरान लोग नज़रें बचा कर निकल जाते हैं. लोग महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं. बलात्कार पीड़िता को न्याय पाने में यहां बरसों गुजर जाते हैं. लेकिन किसी गाय की हत्या या महज बीफ़ खाने और ले जाने की हालत में कथित अभियुक्त की मौके पर ही पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है.’
उनके मन में गाय का मुखौटा पहने महिलाओं की तस्वीरें खींचने का ख्याल आया. इसके बाद ही उन्होंने किसी महिला मित्र को गाय का मुखौटा पहना कर उसकी तस्वीरें खींचने का फैसला किया.
गाय का मुखौटा तलाशने में भी उनको काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. आख़िर में उनको अपना मनपसंद मुखौटा मिला न्यूयॉर्क में.
लेकिन उनकी मुशिकलें अभी खत्म नहीं हुई थीं. कोलकाता में उन्होंने जब अपनी एक महिला मित्र को मुखौटे पहन कर फ़ोटो खिंचाने का प्रस्ताव दिया तो उसने कहा कि वह उनके काम की तारीफ़ तो करती हैं, लेकिन मुखौटे पहन कर फोटो नहीं खिंचाएंगी.
उस महिला मित्र का कहना था कि ‘बाहर निकलने पर तो लोग यूं ही इतना घूरते हैं. मुखौटे पहनने पर क्या करेंगे?’
सुजात्रो ने बाद में अपनी एक अन्य महिला मित्र को इस काम के लिए राज़ी किया और कोलकाता और दिल्ली में उसकी तस्वीरें खींच कर इंस्टाग्राम पर डाल दीं. उसके बाद तो सोशल मीडिया पर इसकी खूब तारीफ़ हुई.
एक अमरीकी टीवी चैनल टीवाईटी टीवी ने अपने ‘द यंग तुर्क’ कार्यक्रम में उनकी तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट दिखाई है.
दुनिया भर के अखबारों में उनकी ये तस्वीरें छप रही हैं.
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