आज के डिजिटल जमाने में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट हमारी जिंदगी का खास हिस्सा बन चुके हैं. ये प्लैटफॉर्म्स शुरू में बनाये तो गए थे दोस्तों से कनेक्ट करने, क्रिएटिविटी दिखाने और एंटरटेनमेंट के लिए, लेकिन हाल के वर्षों में इनका स्वरूप बदलता नजर आ रहा है. कई एक्सपर्ट्स और रिपोर्ट्स की मानें, तो ये प्लैटफॉर्म्स धीरे-धीरे एडल्ट कंटेंट साइट्स में बदलते जा रहे हैं, जहां अश्लीलता को कुछ इस तरह पेश किया जा रहा है, जैसे वह नॉर्मल लगे. आइए, इस बदलाव की वजह, असर और एक्सपर्ट्स की राय पर गौर करते हैं.
सोशल मीडिया में आये इस बदलाव की वजह क्या है?
कंटेंट का कमर्शियलाइजेशन : इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लैटफॉर्म्स पर एल्गोरिदम व्यूज और एंगेजमेंट को बढ़ावा देते हैं. स्टैटिस्टा का डेटा बताता है कि उत्तेजक और कामुक कंटेंट को सामान्य कंटेंट की तुलना में 70% ज्यादा लाइक्स और शेयर मिलते हैं. इससे यूजर्स और इन्फ्लुएंसर्स अर्ध-नग्न तस्वीरें, डांस वीडियो और सुझावात्मक कंटेंट पोस्ट करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.
फिल्टर और शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट : स्नैपचैट के फिल्टर और टिकटॉक के क्विक वीडियो फॉर्मैट ने कामुकता को रचनात्मकता के नाम पर सामान्य बना दिया है. उदाहरण के लिए, टिकटॉक पर डांस चैलेंज अक्सर स्किन-टाइट कपड़ों और उत्तेजक हरकतों के साथ वायरल होते हैं.
प्राइवेसी का अभाव : इन प्लैटफॉर्म्स पर स्टोरीज और रील्स जैसे फीचर्स के जरिये यूजर्स अपनी निजी जिंदगी को खुलेआम शेयर करते हैं. एक रिपोर्ट में पाया गया कि 40% से ज्यादा युवा यूजर्स ऐसे कंटेंट पोस्ट करते हैं, जो सामाजिक नियम-कायदों से परे होता है.
रिपोर्ट्स, जो देती हैं इस बात की गवाही
The Wall Street Journal (2021) : इस अखबार ने फेसबुक और इंस्टाग्राम के आंतरिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी को पता है कि उनके प्लैटफॉर्म पर कामुक कंटेंट को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन वे इसे रोकने के बजाय एल्गोरिदम के जरिए प्रमोट कर रहे हैं.
BBC की जांच (2022) : बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि टेलीग्राम जैसे प्लैटफॉर्म्स के साथ-साथ इंस्टाग्राम पर भी निजी तस्वीरों का दुरुपयोग बढ़ रहा है. कई यूजर्स की तस्वीरें फोटोशॉप कर सॉफ्ट पोर्न की तरह शेयर की जा रही हैं.
साइबर सिक्योरिटी रिपोर्ट (2023) : एक अध्ययन में सामने आया कि टिकटॉक पर 15-20% वायरल वीडियो में सॉफ्ट पोर्न तत्व मौजूद हैं, जैसे कि उत्तेजक पोज और कम से कम कपड़े. यह बच्चों और किशोरों के लिए खतरा बन रहा है.
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एक्सपर्ट्स और सेलेब्स क्या कहते हैं इस बारे में?
डॉ पवन दुग्गल (साइबर लॉ एक्सपर्ट) : सोशल मीडिया अब मनोरंजन से ज्यादा कमाई का जरिया बन गया है. इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर सॉफ्ट पोर्न को सामान्य बनाया जा रहा है, क्योंकि यह ज्यादा ट्रैफिक और विज्ञापन लाता है. सरकार को सख्त नियम लाने चाहिए.
श्वेता तिवारी (एक्ट्रेस) : टीवी की नामचीन अभिनेत्री ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा, मैं अपनी बेटी को टिकटॉक से दूर रखती हूं. वहां जो कंटेंट वायरल हो रहा है, वो बच्चों के लिए सही नहीं है. ये प्लैटफॉर्म्स अब क्रिएटिविटी (रचनात्मकता) कम, और सेंसुअलिटी (उत्तेजना) ज्यादा दिखा रहे हैं.
डैनियल मिलर (मानवविज्ञानी, यूसीएल): अपनी किताब ‘हाउ द वर्ल्ड चेंज्ड सोशल मीडिया’ में उन्होंने लिखा है, सोशल मीडिया अब यूजर्स को नहीं, बल्कि यूजर्स सोशल मीडिया को चला रहे हैं. कामुकता और सनसनीखेज कंटेंट इस बदलाव का बड़ा हिस्सा हैं.
सबसे बड़ा प्रभाव युवाओं पर
सोशल मीडिया के बिहेवियर में आये इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रभाव युवाओं पर पड़ रहा है. इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन के एक सर्वे में 60% किशोरों ने माना कि वे सोशल मीडिया पर देखे गए कंटेंट को कॉपी करने की कोशिश करते हैं, जिसमें सॉफ्ट पोर्न एलिमेंट भी शामिल हैं. मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे बॉडी इमेज की समस्याएं, आत्मसम्मान में कमी और असामाजिक व्यवहार बढ़ रहा है. इसके अलावा, बच्चों के लिए ये प्लैटफॉर्म्स असुरक्षित हो गए हैं, क्योंकि कंटेंट मॉडरेशन कमजोर है.
‘अनरेगुलेटेड कंटेंट ऑन डिजिटल मीडिया प्लैटफॉर्म्स एंड इट्स इम्पैक्ट ऑन सोसायटी’ में डिजिटल मीडिया पर बढ़ते आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर मौजूद कंटेंट को सही ज्ञंग से रेग्युलेट नहीं किया गया, तो इसका समाज पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को डिजिटल प्लैटफॉर्म्स पर सख्त नियम लागू करने चाहिए. इससे डिजिटल मीडिया का जिम्मेदार और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा और समाज में बढ़ती नकारात्मकता को रोका जा सकेगा. इंडिया पॉलिसी फाउण्डेशन की रिपोर्ट डिजिटल मीडिया के रेगुलेशन के जरिये इस तरह के कंटेंट की रोकथाम की वकालत करती है.
तो उपाय क्या है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सख्त कंटेंट गाइडलाइंस, उम्र सत्यापन और एल्गोरिदम में बदलाव इस समस्या को कम कर सकते हैं. सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों को मिलकर जागरूकता फैलाने और तकनीकी हस्तक्षेप की जरूरत है. यूजर्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ऐसे कंटेंट से दूरी बनानी चाहिए. कुल मिलाकर कहें, तो इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और टिकटॉक जैसे प्लैटफॉर्म्स की लोकप्रियता ने उन्हें एक शक्तिशाली मंच बना दिया है, लेकिन उनकी दिशा अब सवालों के घेरे में है. सॉफ्ट पोर्न की ओर बढ़ता यह रुझान न केवल सामाजिक मूल्यों को चुनौती दे रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा बन रहा है. समय रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है, वरना ये प्लैटफॉर्म्स अपनी असल पहचान खो देंगे.
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