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जानिए कैसे डिजिटल बदलाव के दौर में खुद को करें तैयार

गौर कीजिये, हाल के वर्षों में कैसे क्लासरूम लर्निंग से ऑनलर्निंग लर्निंग, बैंक शाखाओं के बजाय एप्प आधारित ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग जैसे न जाने कितने तकनीकी बदलावों को हमने जिंदगी का हिस्सा बनते देखा है. आज रिटेल इंडस्ट्री‘बिग बॉक्स’ कल्चर से काफी आगे निकल चुकी है, तो ऑटो इंडस्ट्री तरक्की के नये रास्ते बना […]

गौर कीजिये, हाल के वर्षों में कैसे क्लासरूम लर्निंग से ऑनलर्निंग लर्निंग, बैंक शाखाओं के बजाय एप्प आधारित ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग जैसे न जाने कितने तकनीकी बदलावों को हमने जिंदगी का हिस्सा बनते देखा है. आज रिटेल इंडस्ट्री‘बिग बॉक्स’ कल्चर से काफी आगे निकल चुकी है, तो ऑटो इंडस्ट्री तरक्की के नये रास्ते बना रही है. सरकारी, गैर-सरकारी, बिजनेस, इंडस्ट्री या व्यक्तिगत तौर पर हर गतिविधि डिजिटल बदलावों के दौर से गुजर रही हैं, जिससे सामान्य जिंदगी और कामकाज के तौर-तरीकों में भी बदलाव आ रहा है.
फोर्ब्स इंडिया के मुताबिक एक सर्वे में यह बात सामने आयी है कि 49 प्रतिशत बिजनेस लीडर मानते हैं कि डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन तेजी से हो रहा है, जबकि महज दो साल पहले ऐसा सोचनेवाले मात्र 15 प्रतिशत ही लोग थे. वहीं 33 प्रतिशत लोग मानते हैं कि अगले तीन वर्षों में उन पर डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन का व्यापक प्रभाव पड़ेगा.
डाटा से तय हो रहा है बिजनेस मॉडल
आपका बिजनेस मॉडल कैसा होगा, उसका दायरा और संभावनाएं कितनी बड़ी होंगी, सब कुछ आपकी डाटा ओनरशिप और डाटा के इस्तेमाल के तरीकों पर निर्भर करेगा.
यानी डाटा विश्लेषण पर आपकी जितनी पकड़ होगी, उतने ही आप सफलता के नजदीक होंगे. डाटा से पूर्वानुमान लगाना आसान होगा. एजुकेशन, टेलीकॉम, हेल्थकेयर, टूरिज्म, हॉस्पिटेलिटी जैसे तमाम उभरते क्षेत्रों में टेक प्रोडक्ट और सर्विस की अहमियत बढ़ रही है. डाटा आधारित ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ब्लॉकचेन जैसी नयी तकनीकें एनालिटिकल टूल्स और एप्लीकेशन को बेहतर बना रही हैं.
उपभोक्ता केंद्रित सेवाओं में इजाफा
उपभोक्ताओं के बर्ताव, उम्मीदों और कामकाज के तरीकों को ध्यान में रख कर कंपनियां अपना बिजनेस प्लान तैयार कर रही हैं. उपभोक्ताओं को कैसे और कहां जोड़ना है, यह कंपनियों का पहला लक्ष्य होता है. बैंकिंग, इंश्योरेंस और रिटेल बिजनेस से जुड़ी कंपनियां अब नये सिरे सोच रही हैं और तकनीकि आधारित सेवाओं का रुख कर रही हैं. इससे न केवल बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को जोड़ना आसान होता है, बल्कि बिजनेस ऑपरेशन कहीं प्रभावी हो जाता है. हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए कॉग्निटिव कंप्यूटिंग आधारित तकनीकें किसी वरदान से कम नहीं हैं. मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी रखने से लेकर रिकॉर्ड तैयार करने और मेडिकल रिसर्च तक हर कार्य का पैटर्न बदल रहा है.
डाटा मैनेजमेंट और प्रोटेक्शन
ज्यादातार लोगों के लिए डाटा की जटिलताओं और इसका सही उपयोग कर पाना आसान नहीं होता. डाटा आधारित बिजनेस मॉडल में विश्लेषण की बारीकियां छिपी होती हैं. डाटा मैनेजमेंट का हर किसी का अपना तरीका होता है. डाटा मैनेजमेंट के साथ इसका प्रोटेक्शन जरूरी होता है, क्यों यहां किसी भी प्रकार की समस्या खड़ी होने पर बिजनेस संभाल पाने की चुनौती कहीं बड़ी हो जाती है. डाटा की सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्ट करना और सुरक्षा का मानकों का कड़ाई से पालन जरूरी होता है.

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