यहां उल्लेखनीयहै कि इस इलाके के पास ही उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल भी स्थित है. चीता की खबर फैलते ही पूरे इलाके में सनसनी में मच गयी. सूचना मिलते ही वन विभाग, फांसीदेवा थाना, माटीगाड़ा थाना व उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल चौकी के पुलिस अधिकारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मृत मवेशियों के मांस के लोथड़े के नमूने को फॉरेंसिक जांच के लिए लिये भेज दिया है. बाद में दोनों मवेशियों को जमीन में गाड़ दिया गया.
साथ ही वन विभाग की ओर से झाड़-जंगल वाले इलाके में चीता को पकड़ने के लिए एक बड़ा पिंजरा रखा गया है. पिंजरे में एक जिंदा बकरी को भी बांधा गया है. स्थानीय ग्रामीणों ने वन अधिकारियों को बताया कि इससे पहले 1990 साल में भी इसी इलाके में चीता को देखा गया था. वहीं, वन अधिकारियों का कहना है कि पैर के निशान से चीता का अनुमान लगाया जा रहा है. लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि करना फिलहाल संभव नहीं है. खबर लिखे जाने तक चिता पिंजरे में कैद नहीं हुआ था. वन विभाग और पुलिस कर्मचारी सुरक्षा के मद्देनजर मौके पर मुश्तैद हैं. साथ ही हर गतिविधि पर नजर गड़ाये हुए हैं. विदित हो कि बीते कुछ सालों में जंगली जानवरों का रिहायशी इलाकों में प्रवेश काफी बढ़ गया है. हाल ही में उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज में एक तेंदुए ने खूब तांडव मचाया था. इससे पहले सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा व लिंबुबस्ती में तेंदुआ और जंगली हाथी ने कोहराम मचाया था.