उस समय श्रमिक चाय पत्ता तोड़ रहे थे, जैसे ही श्रमिकों की नजर जंगली भैंस पर पड़ी, खलबली मच गयी. चाय श्रमिक वहां से भाग खड़े हुए. खबर लगते ही चाय बागान के मैनेजर रजत देव भी मौके पर पहुंचे. इसी दौरान वह भैंसा चाय बागान के ही एक झाड़ी में छिप गया था.
मैनेजर उस भैंसा को नहीं देख पाये. श्री दास अपनी गाड़ी लेकर चाय बागान आये हुए थे. वह कुछ समझ पाते, इससे पहले ही उस जंगली भैंस ने हमला बोल दिया. भैंसे ने गाड़ी को सींग से मारना शुरू किया. वह किसी तरह से जान बचाकर मौके से भाग खड़े हुए. बाद में जंगली भैंसा भी मूर्ति नदी पारकर चपड़ामारी की जंगलों में चला गया.