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रिहायशी इलाकों में ‘गंदी बात’ के मामले बढ़े

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी के रिहायशी इलाकों में ‘गंदी बात’ यानी जिस्मफरोशी का धंधा काफी फलफूल रहा है. फ्लैट कल्चर ने जिस्मफरोशी के धंधे को अब नया रूप दे दिया है. गुजरे जमाने की बात करें तो पहले लोग जिस्मानी भूख मिटाने के लिए एक मात्र रेड लाइट जैसे एरिया पर ही निर्भर रहते थे. ऐसे जगहों […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी के रिहायशी इलाकों में ‘गंदी बात’ यानी जिस्मफरोशी का धंधा काफी फलफूल रहा है. फ्लैट कल्चर ने जिस्मफरोशी के धंधे को अब नया रूप दे दिया है. गुजरे जमाने की बात करें तो पहले लोग जिस्मानी भूख मिटाने के लिए एक मात्र रेड लाइट जैसे एरिया पर ही निर्भर रहते थे.

ऐसे जगहों तक पहुंचने के लिए रंगीन मिजाज लोगों को काफी जोखिम भी उठाना पड़ता था. यहां जाने से लोगों को अधिकांशतः मारपीट, रूपये-पैसे की छिनताई के साथ ही समाज में बदनामी भी उठानी पड़ती है. इतना ही नहीं रेड लाइट की युवतियों से जिस्मानी भूख मिटानी के आदत की वजह से एड्स, एचआइवी जैसे जानलेवा बिमारियों के संक्रमित होने का भय भी बना रहता है. लेकिन फ्लैटों में चलनेवाले जिस्मफरोशी के धंधे से रंगीन मिजाज लोगों को न तो रूपये-पैसे की छिनताई और न ही समाज में बदनामी का रिस्क रहता है. साथ ही पॉकेट के मिजाज के अनुसार समय भी लोगों को अधिक मिल जाता है.

इतना ही नहीं फ्लैटों की रंगीन दुनिया में लोगों के मिजाज के अनुसार हर उम्र की शबाब के साथ-साथ हर तरह के शराब का भी पूरा इंतजाम रहता है. जिस्मफरोशी के धंधों से जुड़े गिरोह के सरगनाओं को भी फ्लैटों में यह गोरखधंधा चलाने में किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना पड़ता है. न समाज की रोकटोक होती है और न ही कानूनी लफड़ा. फ्लैटों में यह धंधा चलानेवाले गिरोह के सरगना अधिकांशतः दलालों के मारफत धंधा चलाते हैं और खुद अंडरग्राउंड रहते हैं. ऐसे ही एक गिरोह से जुड़े एक दलाल की माने तो फ्लैट कल्चर की वजह से ही जिस्मफरोशी का धंधा काफी परवान चढ़ रहा है. पकड़े जाने या बदनामी का रिस्क भी काफी कम है. अगर पुलिस को भनक लग भी जाती है तो अधिकांश मामलों में पुलिस का रेट भी हर महीने के लिए तय हो जाता है. दलाल ने एक आश्चर्य जनक बात का खुलासा करते हुए कहा कि फ्लैटों में इस धंधे को अंजाम देनेवाले गिरोह की मुख्य सरगना अधिकांशतः महिलाएं हैं. जो अपार्टमेंट में फ्लैटों को किराये में लेकर धंधा चलाती हैं. फ्लैट के मालिक को अधिक किराये का लालच देकर और समाज की आंखों में धूल झोंककर जिस्म के इस खेल को अंजाम दिया जाता है. प्रायः हर दो-तीन महीने बाद ही ठिकाना बदल दिया जाता है. दलाल से मिली जानकारी के अनुसार शबाब के रसिया जिस्मानी भूख मिटाने के लिए तरह-तरह की लड़कियों और महिलाओं की मांग करते हैं. दलाल का कहना है कि हमारे धंधे में ग्राहकों का पूरा ख्याल रखा जाता है.

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी के रिहायशी इलाकों के फ्लैटों जिस्मफरोशी का यह गोरखधंधा शहर के पंजाबी पाड़ा, ज्योतिनगर, हैदरपाड़ा, शास्त्रीनगर, आश्रमपाड़ा, हाकिमपाड़ा, कॉलेजपाड़ा, देशबंधुपाड़ा, मिलनपल्ली, खालपाड़ा, प्रधाननगर, माटीगाड़ा स्थित उत्तरायण टाउनसिप जैसे पॉश इलाकों में धड़ल्ले से चल रहा है. पॉश इलाकों के फ्लैटों में चलनेवाला यह गोरखधंधा अब सिलीगुड़ी से सटे पंचायत क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में भी फैलने लगा है. रिहायशी इलाकों के ऐसे फ्लैटों पर सिलीगुड़ी थाना, भक्तिनगर थाना, एनजेपी थाना, प्रधाननगर थाना, माटीगाड़ा थाना व अन्य थानों की पुलिस कई मरतबा छापामारी कर युवक-युवतियों की धरपकड़ भी कर चुकी है और जिस्म के इस गोरख खेल का खुलासा भी कर चुकी है. फिर भी इस धंधे को लगाम लगा पाना संभव नहीं है. आरोप है कि पुलिस नियमित रूप से कार्यवाइ नहीं करती है. बस बीच-बीच में अपनी सक्रियता दिखाने के लिए छापामारी करती है. दरसअसल पुलिस स्वयं ही ढ़िलाइ बरतती है.

(अगली किस्त में पढ़े ‘अब सिलीगुड़ी प्ले ब्यॉय की भी डिमांड’)

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