उनका कहना है कि सरकार ने बिना अग्रिम नोटिस दिये और पुनर्वास की व्यवस्था किये बगैर ही 13 एकड़ जमीन 13 आदिवासी परिवारों से जबरन ले ली है. अब इन 13 परिवार के तकरीबन 50 से भी अधिक सदस्य जहां बेघर हो गये हैं, वहीं उनकी जीविका भी उनसे छीन ली गयी है. जबकि यह 13 एकड़ जमीन 1980 में 491 ए धारा के तहत तत्कालीन राज्य सरकार ने प्रति एक एकड़ जमीन 13 आदिवासी परिवारों को पट्टा के तहत सौंपी थी. जिसका अब खतियान भी हो गया है और 13 परिवार ही हमेशा जमीन का राजस्व भी सरकार के कोष में जमा कराते हैं.
श्री बोस ने बताया कि उन्होंने अपने अधिवक्ता अमित लाल चक्रवर्ती के द्वारा ममता सरकार के विरुद्ध बीते 23 मार्च को कलकत्ता हाइकोर्ट में मुकदमा दायर कराया है. मुकदमा दायर कराने से पहले श्री बोस ने दो मार्च को फांसीदेवा की इस 13 एकड़ जमीन अधिग्रहण किये जाने के मुद्दे की जांच-पड़ताल करने के लिए एक चिट्ठी भी उत्तर बंगाल विकास मंत्री रविंद्रनाथ घोष को भेजी थी. जिसका आजतक कोई जवाब नहीं आया.