विवाहित महिलाओं ने जहां अपने पति और पूरे परिवार के लंबी आयु के लिए दिनभर निरजला उपवास रही वहीं, कुंआरी युवतियों ने मनपसंद पति पाने और जल्द विवाह के लिए उपवास किया. रात 10 बजे शहर के कई इलाकों में शिव-पार्वती विवाह की सजीव झांकी भी निकली.
बच्चे शिव-पार्वती की वेश-भूषा में सजकर पूरे इलाके में भ्रमण पर निकले. बाबूपाड़ा-मिलनपल्ली स्थित गौशाला, पंचमुखी बालाजी मंदिर, गौरीय मठ, खालपाड़ा स्थित राधाकष्ण मंदिर, संकटमोचन मंदिर, रामजानकी मंदिर, संतोषीनगर स्थित सालासर दरबार, संतोषी मंदिर, खाटूश्याम मंदिर, बालाजी घाटा मंदिर, राणीसती मंदिर, महावीरस्थान स्थित महावीर मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, आनंदमयी काली मंदिर, कंबलपट्टी स्थित संकटमोचन मंदिर, विधानमार्केट स्थित शिव मंदिर, सिलीगुड़ी इस्कॉन मंदिर समेत सभी शिवालयों में दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा. माटीगाड़ा के तूंबाजोत के देवराजनगर में नवनिर्मित शिव मंदिर में सुबह पांच बजे से ही बाबा का महारूद्राभिषेक किया गया. दिनभर कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित हुए. शाम को कोलकाता की मशहूर गायिका मंदिरा ग्रुप और उनकी पूरी टीम के कलाकारों ने भजन गीतों को पेश कर समां बांध दिया. कार्यक्रम को सफल बनाने में यजमान ब्रह्मदेव, किशन अग्रवाल, संतोष केसरी, मिथिलेश सिंह समेत पूरे इलाके के शिवभक्तों ने सक्रिय भूमिका निभायी.
दो दिवसीय इस मेले दूर-दराज से कई साधु-संतों व तांत्रिकों ने भी कल से ही अपना डेरा लगा लिया है और शिव आराधना में लिन हो गये हैं. इस एतिहासिक शिवालय के साथ कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि यह मंदिर मां शक्ति के कई शक्ति पीठों में से एक है. जब मां शक्ति के शरीर का विभिन्न हिस्सा कट-कटकर धरती पर इधर-उधर बिखरा था तभी मां के माथे का चांद इसी मंदिर में आकर गिरा. तभी से यह जगह चांदमुनी के नाम से विख्यात हो गया. मां का वह चांद इस मंदिर में आज भी स्थापित है.