शनिवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में कांग्रेस के चारों पार्षद नहीं थे. इसके अलावा नये वर्ष की पहली बोर्ड बैठक कांग्रेस समर्थित कर्मचारियों के आंदोलन में दबा सा दिखा. आंदोलनकारी कर्मचारियों ने निगम के मेयर, उपमेयर सहित बैठक में शामिल सभी सदस्यों को सभागार में बंधक बनाकर मजदूरी बढ़ाने की मांग रखी. मेयर परिषद सदस्यों की बैठक में लिये गये निर्णय के लीक होने से भड़के कर्मचारियों ने गाली-गलौज के साथ मेयर के इस्तीफे की मांग की. मेयर परिषद की बैठक के निर्णय लीक होने की बात पर निगम में विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस के वार्ड पार्षदों ने मजदूरों का पक्ष लिया. सिलीगुड़ी नगर निगम में करीब दो हजार छह सौ कर्मचारी हैं. इनमें से 490 सरकारी स्थायीकर्मचारी हैं. इसके अलावा कुछ ठेका और दैनिक मजदूर हैं. इन कर्मचारियों की मजदूरी बढ़ाने को लेकर तृणमूल के साथ ही कांग्रेस और माकपा कर्मचारी यूनियन आंदोलन कर रही है. इन संगठनो ने मजदूरी बढ़ाने के साथ ही दस वर्ष से अधिक समय से कार्य कर रहे श्रमिकों को स्थायी करने की भी मांग की है. इसी के साथ अपनी मांगो को लेकर कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठन इंटक के सदस्यों ने बोर्ड मीटिंग बाधित कर मेयर सहित पूरे हाउस को बंधक बनाया. निगम के चेयरमैन के निर्देश पर अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से बात कर शोर-गुल शांत कराने की कोशिश की लेकिन विफल रहे. फिर मेयर परिषद सदस्य मुकुल सेनगुप्ता और नुरूल इस्लाम ने उन लोगों से बात की और उनकी मांगो को मेयर तक पहुंचाया.प्रत्येक माह के तरह वर्ष 2017 के पहले महीने की बोर्ड मीटिंग का समय निर्धारित था. उससे पहले ही कांग्रेस और तृणमूल समर्थकों ने निगम की घेराबंदी शुरू कर दी. सिलीगुड़ी नगर निगम के बीस नंबर वार्ड पार्षद तृणमूल नेता रंजन सरकार उर्फ राणा हैं.
इस वार्ड के तृणमूल समर्थक मेयर के इस्तीफे की मांग को लेकर निगम कार्यालय पहुंचे और कमिश्नर सोनम वांग्दी भुटिया को ज्ञापन सौंपने के साथ मेयर अशोक भट्टाचार्य के खिलाफ काफी नारेबाजी की. इनका आंदोलन अभी समाप्त भी नहीं हुआ था कि कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठन इंटक ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया. बोर्ड बैठक शुरू होते ही विरोधी दल ने श्रमिको की मांग को लेकर मेयर को घेरना शुरू कर दिया. प्रश्न काल के दौरान एक नंबर वार्ड की भाजपा पार्षद मालती राय का वक्तब्य समाप्त होते ही विरोधी दल नेता रंजन सरकार और पार्षद रंजनशील शर्मा ने सभागार के बाहर कर्मचारियों के शोर-गुल को शांत कराने का अनुरोध चेयरमैन से किया.
इसके बाद मेयर ने कर्मचारियों की वेतनवृद्धि से जुड़ा एक प्रस्ताव हाउस में रखा जिस पर बवाल खड़ा हो गया. यहां बता दें कि इस बैठक में कर्मचारियों की मजदूरी में 10 और 15 रूपया प्रतिदिन बढ़ाने के प्रस्ताव पर बहस होनी थी. बहस सूची में इस विषय को रखा गया था. लेकिन आज के आंदोलन को देखते हुए मेयर ने प्रस्ताव को वापस लेते हुए फिर से सभी श्रमिक संगठनों से विचार-विमर्श करने के बाद इसे बहस के लिये हाउस में लाने का प्रस्ताव रखा.