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सिलीगुड़ी नगर निगम. तीन नंबर बोरो कमिटी चेयरमैन ने दिया इस्तीफा

सिलीगुड़ी: नये वर्ष के साथ ही सिलीगुड़ी नगर निगम पर अपना अधिपत्य कायम रखने में वाम मोरचा बोर्ड की परेशानी बढ़ चली है. तृणमूल कांग्रेस ने तो पहले से ही मेयर अशोक भट्टाचार्य के इस्तीफे की मांग पर दस जनवरी को निगम का घेराव करने का एलान किया है. अब कांग्रेस ने भी तृणमूल के […]

सिलीगुड़ी: नये वर्ष के साथ ही सिलीगुड़ी नगर निगम पर अपना अधिपत्य कायम रखने में वाम मोरचा बोर्ड की परेशानी बढ़ चली है. तृणमूल कांग्रेस ने तो पहले से ही मेयर अशोक भट्टाचार्य के इस्तीफे की मांग पर दस जनवरी को निगम का घेराव करने का एलान किया है. अब कांग्रेस ने भी तृणमूल के साथ सुर ताल मिलाकर वाम मोरचा बोर्ड की परेशानी बढ़ा दी है. सोमवार को सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत तीन नंबर बोरो कमेटी के चेयरमैन सुजय घटक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस फैसले से सिलीगुड़ी का राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

सोमवार को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हांलाकि सुजय घटक सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 16 के कांग्रेस वार्ड पार्षद पद पर बने हुए हैं. अपने इस्तीफा के लिये उन्होंने निगम की माकपा बोर्ड को ही जिम्मेदार ठहराया है. राज्य विधानसभा चुनाव में तृणमूल को रोकने के लिये माकपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हालांकि सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में भी माकपा और कांग्रेस के बीच मिलीभगत थी. गठबंधन साथी होने के बाद भी दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे के खिलाफ बयान दिया है, लेकिन अधिकारिक रूप से गठबंधन समाप्त नहीं हुआ है.

बोरो कमिटी चेयरमैन पद से इस्तीफा देने को लेकर सुजय घटक ने कहा कि कांग्रेस भले ही माकपा बोर्ड को समर्थन कर रही है ,लेकिन माकपा मेयर इसका शुक्रगुजार नहीं हैं. निगम की सत्ता में आने के बाद से अशोक भट्टाचार्य के नेतृत्व में वाम बोर्ड ने करीब तीन सौ अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की है. बीते वर्ष की अंतिम बोर्ड बैठक में करोड़ों रूपये की परियोजना माकपा और तृणमूल पार्षदों के वार्ड में शुरू की गयी. कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में विकास के लिये मात्र पांच लाख रूपये आवंटित किये गये. विकास कार्यों को लेकर वाम बोर्ड किसी भी प्रकार का विचार-विमर्श कांग्रेस वार्ड पार्षदों से नहीं करती है. एक बोरो कमिटी के चेयरमैन की हैसियत से उन्होंने कहा कि माकपा बोर्ड के नेतृत्व में काम करना काफी मुश्किल है. वार्ड वासियों की परेशानी को देखकर तीन नंबर बोरो कमिटी कार्यालय को स्थानांतरित किये जाने की मांग कई बार निगम से की गयी. बोर्ड ने इस दिशा में कोई कदम ही नहीं उठाया. इसके अतिरिक्त भी विभिन्न प्रकार की समस्याएं हैं.

इस्तीफा देने को लेकर कांग्रेस वार्ड पार्षदों तथा पार्टी से बातचीत कर ली गयी है. श्री घटक ने कहा कि माकपा बोर्ड को समर्थन पार्टी का निर्णय है.सिलीगुड़ी नगर निगम के माकपा बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने में अभी वक्त है. बिना किसी उथल-पुथल के यह बोर्ड वर्ष 2020 के अप्रैल में अपनी मियाद पूरी करेगी. लेकिन तृणमूल कांग्रेस इस बोर्ड को भंग करने के लिये पूरा जोर लगा रही है. बीते वर्ष भी कई बार मेयर अशोक भट्टाचार्य के इस्तीफे की मांग पर तृणमूल ने जोरदार प्रदर्शन किया था. इसके अतिरिक्त छह दिसंबर से पूरे एक महीने तक वाम बोर्ड के खिलाफ आंदोलन करने के बाद दस जनवरी को निगम का घेराव करने का एलान तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव कर चुके हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य भी जनसमर्थन के बल पर अपना कार्यकाल पूरा किये बिना कुरसी नहीं छोड़ने की बात कर चुके हैं.

क्या है नगर निगम का समीकरण
अब सुजय घटक के इस्तीफे से निगम का राजनीतिक समीकरण बदलता दिख रहा है. वर्ष 2015 के अप्रैल में हुये सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में वाम मोरचा ने 23 सीटों पर विजय प्राप्त की थी. तृणमूल 17 वार्डों पर कब्जा जमाने में सफल हुयी, जबकि कांग्रेस चार और भाजपा की झोली में दो वार्ड आये. सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 15 पर निर्दलीय पार्षद स्वर्गीय अरविंद घोष थे. उन्होंने तब किंगमेकर की भूमिका निभाई थी. वर्ष 2016 निगम की माकपा बोर्ड के लिय राजनीतिक दृष्टिकोण से कुछ अच्छा नहीं रहा. बीते वर्ष राज्य में दोबारा सत्ता में आने के बाद पूरे राज्य के साथ सिलीगुड़ी में भी तृणमूल का जन समर्थन बढ़ा है.

इधर अरविंद घोष का निधन हो गया. वाम बोर्ड में सहयोगी फॉरवार्ड ब्लॉक से विजयी पांच नंबर वार्ड पार्षद व निगम की तत्कालीन स्वास्थ विभाग की मेयर पार्षद दुर्गा सिंह ने तृणमूल का दामन थाम लिया. इसके बाद निगम पर कब्जा करने के लिये तृणमूल ने हर संभव कोशिश की पर लाभ नहीं हुआ. वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम की राजनीतिक स्थिति यह है कि सत्ताधारी वामो के 22 पार्षद, तृणमूल के 18, कांग्रेस के 4 और भाजपा के दो पार्षद हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम में माकपा बोर्ड कांग्रेस के दम पर टिकी है. अब कांग्रेस ही विरोधी की ओर रूख कर रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यदि कांग्रेस के चार पार्षद तृणमूल का दामन थाम भी लें तो भी तृणमूल बोर्ड पर कब्जा नहीं कर पायेगी.नगर निगम का जादुई आंकड़ा 24 है. इसके लिये तृणमूल को माकपा के किसी दो पार्षद या भाजपा के दोनों पार्षदों को शामिल कराना होगा. राह थोड़ी कठिन है लेकिन मुश्किल भी नहीं.

विकास में भेदभाव का आरोप
बोरो कमेटी के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के बाद अब कांग्रेस वार्ड पार्षद सुजय घटक भी तृणमूल के सुर से ताल मिला रहे हैं. सुजय घटक का कहना है कि माकपा पार्षदों के वार्ड के लिये 1 करोड़ 65 लाख, तृणमूल पार्षदों के वार्ड के लिये 1 करोड़ 40 लाख, भाजपा के दो पार्षदों के वार्ड में कुल 25 लाख 75 हजार रूपये आवंटित किये गये हैं. वहीं कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में विकास कार्य के लिये मात्र 5 लाख 37 हजार रूपये आवंटित किये गये हैं.
क्या कहती है कांग्रेस
दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष व माटिगाड़ा नक्सलबाड़ी के विधायक शंकर मालाकार ने कहा कि बोरो कमिटी के चेयरमैन पद से सुजय घटक का इस्तीफा देना उनका निजी निर्णय है. इस संबंध में पार्टी के साथ किसी भी तरह का विचार-विमर्श नहीं किया गया है. सिलीगुड़ी के लोगों ने निगम के चुनाव में वामो और कांग्रेस के गठबंधन पर विश्वास जताकर समर्थन दिया था. किसी भी परिस्थिति में जनता की राय को स्वीकार करना होगा. जबरन दखल की राजनीति पश्चिम बंगाल में पहली बार देखने को मिल रही है.
क्या कहते हैं मेयर
सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर सह विधायक अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि वाम मोरचा बहुमत में नहीं,बल्कि कांग्रेस के समर्थन से बोर्ड का संचालन कर रही है. सुजय घटक सटीक बातें नहीं बता रहे हैं. कांग्रेस पार्षदों का तृणमूल से हाथ मिलाने के बाद निमग पर माकपा बोर्ड कायम रहने का सवाल ही नहीं है. श्री भट्टाचार्य ने सुजय घटक को अपने निर्णय पर फिर से पुर्नविचार करने की सलाह दी है.

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