सोमवार को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हांलाकि सुजय घटक सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 16 के कांग्रेस वार्ड पार्षद पद पर बने हुए हैं. अपने इस्तीफा के लिये उन्होंने निगम की माकपा बोर्ड को ही जिम्मेदार ठहराया है. राज्य विधानसभा चुनाव में तृणमूल को रोकने के लिये माकपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हालांकि सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में भी माकपा और कांग्रेस के बीच मिलीभगत थी. गठबंधन साथी होने के बाद भी दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे के खिलाफ बयान दिया है, लेकिन अधिकारिक रूप से गठबंधन समाप्त नहीं हुआ है.
बोरो कमिटी चेयरमैन पद से इस्तीफा देने को लेकर सुजय घटक ने कहा कि कांग्रेस भले ही माकपा बोर्ड को समर्थन कर रही है ,लेकिन माकपा मेयर इसका शुक्रगुजार नहीं हैं. निगम की सत्ता में आने के बाद से अशोक भट्टाचार्य के नेतृत्व में वाम बोर्ड ने करीब तीन सौ अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की है. बीते वर्ष की अंतिम बोर्ड बैठक में करोड़ों रूपये की परियोजना माकपा और तृणमूल पार्षदों के वार्ड में शुरू की गयी. कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में विकास के लिये मात्र पांच लाख रूपये आवंटित किये गये. विकास कार्यों को लेकर वाम बोर्ड किसी भी प्रकार का विचार-विमर्श कांग्रेस वार्ड पार्षदों से नहीं करती है. एक बोरो कमिटी के चेयरमैन की हैसियत से उन्होंने कहा कि माकपा बोर्ड के नेतृत्व में काम करना काफी मुश्किल है. वार्ड वासियों की परेशानी को देखकर तीन नंबर बोरो कमिटी कार्यालय को स्थानांतरित किये जाने की मांग कई बार निगम से की गयी. बोर्ड ने इस दिशा में कोई कदम ही नहीं उठाया. इसके अतिरिक्त भी विभिन्न प्रकार की समस्याएं हैं.
इस्तीफा देने को लेकर कांग्रेस वार्ड पार्षदों तथा पार्टी से बातचीत कर ली गयी है. श्री घटक ने कहा कि माकपा बोर्ड को समर्थन पार्टी का निर्णय है.सिलीगुड़ी नगर निगम के माकपा बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने में अभी वक्त है. बिना किसी उथल-पुथल के यह बोर्ड वर्ष 2020 के अप्रैल में अपनी मियाद पूरी करेगी. लेकिन तृणमूल कांग्रेस इस बोर्ड को भंग करने के लिये पूरा जोर लगा रही है. बीते वर्ष भी कई बार मेयर अशोक भट्टाचार्य के इस्तीफे की मांग पर तृणमूल ने जोरदार प्रदर्शन किया था. इसके अतिरिक्त छह दिसंबर से पूरे एक महीने तक वाम बोर्ड के खिलाफ आंदोलन करने के बाद दस जनवरी को निगम का घेराव करने का एलान तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव कर चुके हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य भी जनसमर्थन के बल पर अपना कार्यकाल पूरा किये बिना कुरसी नहीं छोड़ने की बात कर चुके हैं.
इधर अरविंद घोष का निधन हो गया. वाम बोर्ड में सहयोगी फॉरवार्ड ब्लॉक से विजयी पांच नंबर वार्ड पार्षद व निगम की तत्कालीन स्वास्थ विभाग की मेयर पार्षद दुर्गा सिंह ने तृणमूल का दामन थाम लिया. इसके बाद निगम पर कब्जा करने के लिये तृणमूल ने हर संभव कोशिश की पर लाभ नहीं हुआ. वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम की राजनीतिक स्थिति यह है कि सत्ताधारी वामो के 22 पार्षद, तृणमूल के 18, कांग्रेस के 4 और भाजपा के दो पार्षद हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम में माकपा बोर्ड कांग्रेस के दम पर टिकी है. अब कांग्रेस ही विरोधी की ओर रूख कर रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यदि कांग्रेस के चार पार्षद तृणमूल का दामन थाम भी लें तो भी तृणमूल बोर्ड पर कब्जा नहीं कर पायेगी.नगर निगम का जादुई आंकड़ा 24 है. इसके लिये तृणमूल को माकपा के किसी दो पार्षद या भाजपा के दोनों पार्षदों को शामिल कराना होगा. राह थोड़ी कठिन है लेकिन मुश्किल भी नहीं.