बाद में उत्तेजित भीड़ की ओर से कई लोगों ने बैंक में तोड़-फोड़ की. एक उपभोक्ता परिमल गांगुली का कहना है कि शनिवार और रविवार को रात आठ बजे तक खोलकर रखने और उपभोक्ताओं को रुपये बदलकर देने के लिए सरकार ने पहले से ही निर्देश दे रखी है. लेकिन बैंक प्रबंधन ने समय से काफी पहले चार बजे ही सटर गिराकर बैंक बंद कर दिया.
दीपक मंडल का कहना है कि रुपये बदलवाने के लिए सुबह से बगैर खाये-पीये बैंक के सामने कड़ी धूप में कतारबद्ध हैं. बैंक प्रबंधन को अपने उपभोक्ताओं की परेशानी को लेकर कोई चिंता नहीं है, उल्टा अपनी मनमर्जी के खुद मालिक बने हुए हैं. इस बाबत बैंक के किसी भी अधिकारियों ने अपना मुंह नहीं खोला. वहीं, बैंक प्रबंधक के किसी मीटिंग में व्यस्त होने की वजह से संपर्क नहीं हो सका.