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सिखाया स्ट्रोबेरी उगाना

सिलीगुड़ी: माचिश की एक तिली से चूल्हा जला कर भोजन भी तैयार किया जा सकता है और वही माचिश की तिली काफी है घर फूंकने के लिए. कहने का मतलब है कि आप चीजों को किस तरह इस्तेमाल करते हैं. हाइटेक युग में तकनीक का कितना बेहतर इस्तमाल किया जा सकता है, इसका उदाहरण हैं […]

सिलीगुड़ी: माचिश की एक तिली से चूल्हा जला कर भोजन भी तैयार किया जा सकता है और वही माचिश की तिली काफी है घर फूंकने के लिए. कहने का मतलब है कि आप चीजों को किस तरह इस्तेमाल करते हैं.

हाइटेक युग में तकनीक का कितना बेहतर इस्तमाल किया जा सकता है, इसका उदाहरण हैं ंशिवमंदिर, रामकृष्ण नर्सरी के अशोक मिश्र. प्रकृति के इस पुजारी ने इंटरनेट के सहारे स्ट्रोबेरी उगाने का संकल्प लिया और दूर देश केलोफ्रोनिया से बीज लाकर स्ट्रोबेरी उगाकर अपने सपने को पूरा किया. बकौल अशोक मिश्र, मैंने इंटरनेट की मदद से फल -फूल उगाने की कला सिखी. मुझे बाद में उत्तर बंग विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर फ्लोरिक्लचर एंड एग्री बिजनेश मैनेजमेंट (कोफेम) से भी सहायता मिली.

चूंकि इसका बीज केलोफ्रोनिया में मिलता है, इसलिए मुझे हवाई जहाज के माध्यम से इसे मंगवाना पड़ता है. एक चारे की लागत 62 रूपये है. आश्विन माह में स्ट्रोबेरी का पौधारोपण किया जा सकता है. बसंत आते-आते इसके फल पक जाते है. एक पौधे से तकरीबन आधा किलोग्राम फल लगता है. सबसे जरूरी है इसकी देखरेख. स्ट्रोबेरी की खेती के लिए न अधिक धूप चाहिए, न अधिक बारिश न ठंड. जैव खाद्य, हड्डियों का भस्म, सिंघ कूची, नीम का छाल आदि खाद्य से इसे तैयार किया जाता है. स्ट्रोबेरी एक पौष्टिक फल है. मधुमेह के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है.

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