अज्ञात बीमारी की वजह से स्थानीय निवासी सुदामा किस्कू के दो बेटे की एक ही दिन के अंतराल में मौ हो गयी. इलाकावासियों सहित पीड़ित परिवार ने इसके लिये सिलीगुड़ी नगर की सफाइ व्यवस्था व स्थानीय वार्ड पार्षद मुकुल सेनगुप्ता को दोषी ठहराया है.
मिली जानकारी के मुताबिक बीते 30 अगस्त की सुबह चार बजे सुदामा किस्कू के दूसरे पूत्र छविलाल किस्कू के पेट में अचानक दर्द शुरू हो गया. इसके साथ ही कई उल्टियां भी हुईं. उसकी शारीरिक स्थिति को बिगड़ता देखकर परिवार वालों ने उसे तुरंत सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती कराया. इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया. एक दिन बाद ही 1 सितंबर के तड़के सुदामा के छोटे बेटे आकाश किस्कू को भी अज्ञात बीमारी हो गयी. उसके पेट में दर्द शुरू हुआ. एक बेटे को खोने के बाद दूसरे की हालत बिगड़ती देख परिजनों ने आकाश को भी सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती कराया. कुछ ही समय के बाद अस्पताल के चिकित्सकों ने उसकी मौत की खबर परिजनों को दी. इस खबर ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है. घटना से इलाके में भी आतंक का माहौल है. एक के बाद एक मौत की खबर सुनकर इलाका वासी सुदामा के घर पर भारी संख्या में उपस्थित हुए.
उल्लेखनीय है कि न्यू पोकाईजोत का यह इलाका दागापुर चाय बागान से सटा हुआ है. यह आदिवासी बहुल इलाका है. औसतन प्रत्येक घर में सुअर पाला जाता है. पीड़ित परिवार भी अपने घर में सुअर पालता है. इसके अतिरिक्त इलाके से होकर चाय बागान का एक नाला भी है. इसमें भी काफी गंदगी रहती है. पूरा इलाका पेड़-पौधे, जंगल-झाड़ से भरा हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वार्ड पार्षद का इलाके पर तनिक भी ध्यान नहीं है. स्थानीय निवासी मुहम्मद गुलाम रब्बानी ने कहा कि वार्ड पार्षद ने इलाके की साफ-सफाई ताक पर रख दी है. तीन से चार माह पर एक बार सफाई कर्मचारी के दर्शन होते है. सिलीगुड़ी में डेंगू फैलने के बाद भी इस इलाके में ब्लीचिंग पाउडर तक का छिड़काव नहीं कराया गया है.
वार्ड के 7 नंबर स्वास्थ केंद्र की स्वास्थ सुपरवाइजर वाणी चक्रवर्ती ने बताया कि 30 अगस्त की रात छविवाल किस्कू के पेट में दर्द की शिकायत हुई. चार-पांच उल्टियां भी हुईं. इसके बाद उसे सिलीगुड़ी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया. इस घटना के एक दिन बाद ही इसी परिवार का छोटा बेटा आकाश किस्कू की तबियत खराब हुयी. उसे भी सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती कराया गया. कुछ समय के बाद वह भी चल बसा. छविलाल की उम्र 12 वर्ष और आकाश की उम्र 8 वर्ष थी. छविलाल निकटवर्ती श्रीगुरु विद्यामंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय का छात्र था, जबकि आकाश घर के पास स्थित देशबंधु हिंदी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता था. उन्होंने कहा कि इलाका गंदगी से भरा हुआ है. नाला होने से इलाके में मच्छर होने की संभावना काफी अधिक है. वार्ड की एचएसडब्लू कर्मचारी कल्पना सूत्रधर ने बताया कि हाल ही में इलाके में डेंगू का सर्वे कराया था. 7 हजार 425 घर वाले इस इलाके के 80 घरों में डेंगू का लार्वा पाया गया. इस इलाके में सुअर पालन भी अत्यधिक है, जिसकी वजह से किसी अज्ञात बीमारी की संभावना भी प्रबल है.
स्थानीय कुछ इलाका वासियों ने बताया कि इलाके के कई परिवारों में लोगों को ज्वर व पेट दर्द की समस्या है. कई को उल्टियां भी हुयी हैं. पहले तो इलाकावासी इस अज्ञात बीमारी के लक्षण को हल्के में ले रहे थे. एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत होने से सभी गंभीर हो गये हैं.
इस संबंध में दार्जिलिंग जिला मुख्य स्वास्थ अधिकारी असित विश्वास ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है. मामला गंभीर है. पहले जांच के लिये एक मेडिकल टीम इलाके में भेजी जायेगी. इसके अतिरिक्त जिन दो बच्चों की मौत हुयी है, उसकी भी विस्तृत जानकारी हासिल की जायेगी. आवश्यकता पड़ने पर इलाके में स्वास्थ शिविर की भी व्यवस्था होगी.