सेवक शाखा के अध्यक्ष ललित जैन ने मंच पर उपस्थित अतिथियों और कार्यक्रम में शामिल मायुम सदस्यों का स्वागत किया. इस मौके पर ग्रेटर लायंस नेत्रालय के अध्यक्ष प्रमोद गर्ग, मारवाड़ी युवा मंच के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल, दानदाता मनेरमा देवी झंवर आदि उपस्थित थी. अतिथियों के अभिवादन के बाद जिला गवर्नर पी.के. शाह ने अपने भाषण में बताया कि 30 जून 2011 को मायुम की सेवक शाखा का उदय हुआ. बीते इन चार वर्षों इस संगठन ने जनहित में काफी सराहनीय कार्य किये हैं. एक दिवसीय रक्तदान शिविर में 508 युनिट रक्त संग्रह करने का रिकार्ड भी सेवक शाखा ने बनाया है.
हाल ही में वैकुंठपुर प्राथमिक विद्यालय को गोद लेकर विद्यार्थियों के लिये कइ कार्य किये गये हैं. सिलीगुड़ी ग्रेटर लायंस आई हॉस्पिटल के संबध में श्री शाह ने कहा कि उत्तर पूर्व भारत का यह सबसे बड़ा आइ हॉस्पिटल है. यहां प्रत्येक वर्ष 12 से 13 हजार ऑपरेशन किये जाते हैं जिसमें से 50 प्रतिशत ऑपरेशन मुफ्त में होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि 13 हजार ऑपरेशन तो इस अस्पताल में हो जाता है लेकिन भविष्य में संख्या और भी बढ़ेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए सिलीगुड़ी में एक दूसरा अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है और निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है.
मायुम के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश अग्रवाल ने अपने संबोधन में ग्रेटर लायंस नेत्रालय का होना सिलीगुड़ी के लिए गर्व की बात है. अमृतधारा के संबध में उन्होंने कहा कि मायुम का यह सबसे अनोखा कदम है. मानव की सेवा करना एक मात्र धर्म है और मायुम के सभी सदस्य इसी धर्म में विश्वास करते हैं.
अपने भाषण में अमृतधारा परियोजना के अखिल भारतीय संयोजक हेमंत शाह ने कहा कि मायुम कथनी में नहीं बल्कि करनी में विश्वास रखता है. आज के इस अमृतधारा के साथ सिलीगुड़ी में कुल 22 अमृतधारा परियोजनाओं की स्थापना हो गयी है, जबकि पूरे राज्य में यह आंकड़ा 57 पार कर गया है. उन्होंने कहा कि अमृतधारा के लिए सेवक शाखा की पांचवी मशीन भी तैयार है, उसे भी जल्द स्थापित कर दिया जायेगा. श्री शाह ने आगे कहा कि आज से पचास-साठ वर्ष पहले पूरे गांव में एक कुआं हुआ करता था जिससे पूरा गांव लाभांन्वित होता था. लेकिन अब परस्थिति बदल चुकी है. पानी निकालने के अनेक स्त्रोत उपलब्ध हैं. घर-घर में कुआं, नलकूप व मोटर आदि की व्यवस्था है. लेकिन इसके बाद भी देश के लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ संगठन(डब्लूएचओ) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक बीमारी पानी की गंदगी की वजह से होती है.
इसीलिए स्वच्छ जल पीना आवश्यक है. सेवा करना मारवाड़ियों की पहचान है. पिछली पीढ़ी मटके में पानी भरकर लोगों को पिलाने का कार्य करती थी. जबकि नयी पीढ़ी ने उसी परंपरा को अमृतधारा के रूप में परिणत कर दिया है. एक अमृतधारा को स्थापित करने में करीब डेढ़ लाख रूपये खर्च होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मंच द्वारा दिल्ली में युवा भवन बनाया जा रहा है. इसमें 35 करोड़ रूपये लगने की संभावना है. कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया.कार्यक्रम को प्रवीण झंवर,संजय शर्मा आदि ने भी संबोधित किया.