उन्होंने बताया कि जो मोहरें मिली हैं वे हुसेन शाह के जमाने की हैं. मोहरों के ऊपर अरबी और फारसी भाषा में लिखा है. बंगाल की राजधानी गौड़ का इलाका बहुत विस्तृत था. बाद में राजधानी गाजोल थाने के पांडुआ, अदीना में भी स्थानांतरित हुई. पूरे इलाके में बहुत सी प्राचीन संपदा जमीन के नीचे दबी हुई है. ये सब चीजें 15वीं सदी की हैं.
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मोहरें मिलने की खबर पुरातत्व विभाग को भेजी गयी
मालदा. मालदा में चांदी की मोहरें (प्राचीन सिक्के) मिलने की घटना की सूचना जिला अधिकारी शरद द्विवेदी ने राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग को भेजी है. खुदाई स्थल से कुछ और चीजें मिलने की संभावना जताते हुए उन्होंने इसमें पुरातत्व विभाग की सहायता मांगी है. जिला अधिकारी ने नगरपालिका को पाइपलाइन के लिए खुदाई तुरंत […]
मालदा. मालदा में चांदी की मोहरें (प्राचीन सिक्के) मिलने की घटना की सूचना जिला अधिकारी शरद द्विवेदी ने राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग को भेजी है. खुदाई स्थल से कुछ और चीजें मिलने की संभावना जताते हुए उन्होंने इसमें पुरातत्व विभाग की सहायता मांगी है. जिला अधिकारी ने नगरपालिका को पाइपलाइन के लिए खुदाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया है.
उल्लेखनीय है कि सोमवार को मालदा शहर के सुकांतपल्ली इलाके में पानी की पाइपलाइन के लिए खुदाई के दौरान मोहरों से भरा एक घड़ा निकला था. आरोप है कि स्थानीय लोगों ने मोहरें लूट लीं. बाद में पुलिस ने अभियान चलाकर 12 मोहरें बरामद कीं. जिला अधिकारी शरद द्विवेदी ने कहा है कि यह पूरा मामला पुरातत्व विभाग से संबंधित है. विभाग को खबर दे दी गयी है. पुरातत्व अधिकारी आयेंगे और खुदाई स्थल का मुआयना करेंगे.
इधर मालदा संग्रहालय के क्यूरेटर साधन देव ने बताया कि जो मोहरें बरामद हुई हैं वे सुलतानी जमाने की लगती हैं. हालांकि इतिहासकारा इस पर बेहतर रोशनी डाल पायेंगे. मंगलवार को इंगलिशबाजार थाने से देा मोहरें मालदा संग्रहालय में भेजी गयी थीं. क्यूरेटर श्री देव ने बताया कि जिस जगह से मोहरें बरामद हुई हैं वहां कभी बंगाल की राजधानी गौड़ नगरी थी. महानंदा नदी के किनारे स्थित इस नगरी की बहुत सी चीजें अब भी जमीन के नीचे दबी हैं.
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