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फरजी मेडिकल कॉलेज ने सिलीगुड़ी में 23 छात्रों से लाखों ठगे

सिलीगुड़ी: एमबीबीएस की डिग्री देकर डॉक्टर बनाने के नाम पर विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को लाखों रुपये का चूना लगाने वाले गिरोह के शिकार सिलीगुड़ी के भी 23 विद्यार्थी हुए हैं. यह लोग पिछले एक वर्ष से एमबीबीएस (बायो) की डिग्री प्राप्त करने के लिए सिलीगुड़ी जिला बायोकेमिक मेडिकल कॉलेज, हॉस्पीटल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट में पढ़ाई […]

सिलीगुड़ी: एमबीबीएस की डिग्री देकर डॉक्टर बनाने के नाम पर विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को लाखों रुपये का चूना लगाने वाले गिरोह के शिकार सिलीगुड़ी के भी 23 विद्यार्थी हुए हैं. यह लोग पिछले एक वर्ष से एमबीबीएस (बायो) की डिग्री प्राप्त करने के लिए सिलीगुड़ी जिला बायोकेमिक मेडिकल कॉलेज, हॉस्पीटल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रहे थे. अब जाकर पता चला है कि यह संस्थान पूरी तरह से फर्जी है. राज्य के नदिया की सीआइडी टीम ने इस संस्थान से जुड़े अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले के उजागर होने के बाद से ही सिलीगुड़ी में भी खलबली मच गयी है.

संस्थान के फर्जी होने की जानकारी जैसे ही यहां पढ़ाई कर रही जयती दत्ता को मिली, वह बीमार पड़ गयी है. इसी तरह से प्रबोध कुमार नामक एक छात्र का भी डॉक्टर बनने का सपना टूट गया है. यह लोग संस्थान के हरेन मुखर्जी रोड स्थित कॉलेज में पिछले नौ महीने से पढ़ाई कर रहे थे. अब जाकर पता चला है कि इस कॉलेज को किराये के एक मकान में चलाया जा रहा था. जयती दत्ता के पिता शांतिनगर के रहने वाले स्नेहान्सु दत्ता ने बताया है कि पूरा फर्जीवाड़ा भारत सरकार के अशोक स्तंभ के उपयोग किये जाने की वजह से हुआ है.

संस्थान के विज्ञापन से ऐसा कहीं भी नहीं लगता था कि यह संस्थान पूरी तरह से फर्जी है. इतना ही नहीं, भारत सरकार के गैजेट अधिसूचना में भी इस संस्थान का नाम है. इस बीच, पीड़ितों से मिली जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी जिला बायोकेमिक मेडिकल कॉलेज, हास्पीटल ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट को द स्टेट बायोकेमिक मेडिकल काउंसिल के अधीन बताया गया था. यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों ने जो फीस अदा की है, उसके रसीद में साफ तौर पर भारत सरकार का चिह्न अशोक स्तंभ को देखा जा सकता है. इतना ही नहीं, द स्टेट बायोकेमिक मेडिकल काउंसिल के नीचे साफ-साफ अक्षरों में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया लिखा गया है. इतना ही नहीं, इस कॉलेज को बायोकेमिक एजुकेशन ग्रांट कमीशन, भारत सरकार के अधीन पंजीकृत तथा द स्टेट बायोकेमिक मेडिकल काउंसिल भारत सरकार से मान्यता प्राप्त बताया गया है. इस फर्जीवाड़े के शिकार हुए विद्यार्थियों तथा अभिभावकों का कहना है कि भारत सरकार के नाम के दुरुपयोग की वजह से ही वह लोग ठगी के शिकार हुए हैं. बच्चों का एक साल बरबाद हो चुका है. इस कीमती समय के बरबाद होने की जिम्मेदारी किसी होगी?

कैसे हुआ धोखा
भारत सरकार के लोगो तथा नाम के उपयोग की वजह से ही सिलीगुड़ी के 23 विद्यार्थी ठगी के शिकार हुए हैं. इस फर्जी संस्थान ने एमबीबीएस बायो में नामांकन कराने के लिए जितने भी विज्ञापन दिये, उन सभी में भारत सरकार के अशोक स्तंभ के साथ ही भारत सरकार के नाम का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख है. इतना ही नहीं, भारत सरकार द्वारा जारी गजेट नोटिफिकेशन में भी इस संस्थान का नाम है. स्वाभाविक तौर पर भारत सरकार के नाम को देखकर ही सभी लोग ठगी के शिकार हुए हैं.
कैसी डिग्री और कितनी फीस: इस संस्थान ने आसानी से डॉक्टर बनाने के नाम पर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया. एमबीबीएस बायो की डिग्री देकर डॉक्टर बनाने का दावा विज्ञापन में किया गया. जहां डॉक्टर बनने के लिए कड़ी मेहनत के साथ ही लाखों रुपये की फीस देनी पड़ती है, वहीं इस संस्थान ने मात्र एक लाख 46 हजार रुपये में डॉक्टर बनाने का दावा किया था.
क्या कहते हैं अभिभावक
ठगी के शिकार हुए प्रबोध कुमार महतो ने बताया है कि चार साल के कोर्स के लिए कुल 1 लाख 45 हजार रुपये भुगतान करने के निर्देश कॉलेज की ओर से दिये गये थे. नौ हजार 500 रुपये के नामांकन शुल्क तथा तीन हजार रुपये के कॉलेज फंड के जमा करने के बाद उन्होंने अपना नामांकन यहां कराया. उसके बाद तीन साल तक हर साल 36 हजार रुपये का भुगतान कॉलेज को करना था. जाहिर है, इस फर्जी कॉलेज ने डॉक्टर बनने का सपना दिखाकर विद्यार्थियों को लाखों रुपये का चूना लगाया है. इस बीच, इस ठगी के शिकार हुए विद्यार्थियों तथा उनके अभिभावकों ने दोषियों को पकड़ने के साथ ही प्रभावित बच्चों के अलग से शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि इन बच्चों का कीमती एक साल बरबाद न हो. यह सभी लोग इकट्ठे होकर सिलीगुड़ी थाने में मामला भी दर्ज कराने वाले हैं.

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