तृणमूल सरकार के फिर से सत्ता में लौटने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि बानरहाट में हिन्दी कॉलेज की स्थापना, करम पूजा तथा छठ पूजा पर छुट्टी की घोषणा इसी सरकार ने की है. इसके अलावा 1996 में स्थापित जिस नेपाली स्कूल को तत्कालीन वाम मोरचा सरकार ने गैर कानूनी बताया था उसी स्कूल को सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने मान्यता दे दी. इसके साथ ही माल बाजार में एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की भी स्थापना की गई है. डुवार्स के लोगों को इलाज कराने के लिए अब सिलीगुड़ी का चक्कर नहीं काटना पड़ता है.
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वीरपाड़ा तथा मालबाजार के बीच एक और सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना होनी चाहिए. वीरपाड़ा से मालबाजार की दूरी 60 किलोमीटर है. यदि वीरपाड़ा में भी एक अस्पताल बन जाये, तो यहां के लोगों को काफी सुविधा होगी. दूसरी तरफ तृणमूल विरोधी गुटों का कहना है कि ममता बनर्जी ने अस्पताल तो बना दिया लेकिन वहां डॉक्टरों तथा नर्सों की व्यवस्था नहीं की गई. अस्पताल के नाम पर सिर्फ बड़े-बड़े भवन बनाये गये हैं. चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से नदारद है. ऐसे लोगों का कहना है कि लुकसान इलाके में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है, जबकि इस इलाके की आबादी 55 हजार से अधिक है.
यहां के लोग एक मात्र प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर निर्भर हैं. इस हेल्थ सेंटर में भी कभी डॉक्टर आते हैं, तो कभी गायब रहते हैं. इन लोगों का कहना है कि चाहे जिसकी भी सरकार बने, लुकसान इलाके में कम से कम 18 विस्तरों वाला एक अस्पताल जरूर बनना चाहिए. एक महिला नमिता वर्मन ने तृणमूल सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि ममता सरकार के दौरान विकास के तमाम बड़े दावे किये जा रहे हैं. वह जहां रहती है, वहां के सड़क की स्थिति काफी खराब है. शादी के 26 साल हो गये, लेकिन यहां की सड़क की स्थिति नहीं बदली. जिस समय घर में कोई बीमार होता है, तो गाड़ी के अभाव में कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. यहां से मुख्य सड़क काफी दूर है. मुख्य सड़क की ओर जाने वाली सड़क को अब तक नहीं बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि सड़क के साथ ही पेयजल की समस्या भी जस की तस बनी हुई है. सप्लाई पानी के लिए घंटों तक खड़ा रहकर लाइन में इंतजार करना पड़ता है. जिसकी भी सरकार बने, वह तो बस यहां की सड़क ठीक करवा दे. बिनोद कुजूर नामक एक चाय श्रमिक ने नयी सरकार से प्रतिदिन 250 रुपये वेतन करने की मांग की है. हालांकि वह वर्तमान तृणमूल सरकार से खुश दिखते हैं. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद करम पूजा की छुट्टी दी गई. इसके अलावा प्रतिदिन के मजदूरी में भी 32 रुपये 50 पैसे की वृद्धि की गई. अब्दुल रज्जाक नामक एक व्यक्ति ने डुवार्स में मुस्लिम विकास बोर्ड बनाने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार ने जाति पर आधारित लेप्चा बोर्ड, आदिवासी बोर्ड, एसटी बोर्ड आदि का गठन किया है. राज्य में बनने वाली नयी सरकार को मुस्लिम विकास बोर्ड का भी गठन करना चाहिए. पश्चिम बंगाल में हमेशा से ही मुस्लिमों का शोषण होते रहा है.
विकास बोर्ड बनने से मुस्लिमों की तकलीफ थोड़ी कम होगी. अर्जुन चौधरी नामक व्यक्ति ने राज्य में एक बार फिर से तृणमूल सरकार बनने की वकालत की है. उन्होंने छठ पूजा में छुट्टी देने के लिए ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले 34 वर्षों में वाम मोरचा सरकार ने जो नहीं किया वह ममता सरकार ने कर दिखाया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि छठ पूजा में सभी वर्ग के लोगों को छुट्टी देनी चाहिए. ममता बनर्जी ने सिर्फ हिन्दी भाषियों के लिए छठ पूजा में छुट्टी देने की घोषणा की है. राज्य में बनने वाली नयी सरकार को सभी वर्गों के लिए छुट्टी घोषित करना चाहिए. एक महिला नीलू लामा ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने विकास के कई काम किये हैं. फिर भी कई सड़कों की मरम्मती नहीं हुई है. नयी सरकार यदि सड़क, हाईड्रेन आदि बनाने पर जोर दे तो काफी अच्छा होगा.