उनका आरोप है कि वामदल समर्थित कुछ अधिकारी अपने पद का गलत इस्तेमाल कर राजस्व को कम कर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. सिलीगुड़ी में पत्रकारों से रूबरू हुए नेपाल बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार के कुल राजस्व का 80 प्रतिशत सेल टैक्स से आता है. राजस्व विभाग के आयुक्त राजस्व वसूली के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन तीनों उपायुक्तों द्वारा आदेशों का पालन समुचित तौर पर ना किये जाने की वजह से सरकार को राजस्व की काफी हानि हो रही है. इन तीनों के स्थान पर दूसरे अधिकारियों को लाया जाये, तो राजस्व बढ़ जायेगा. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार को 44 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. वर्ष 2015-16 में आगे बढ़ना तो दूर की बात, सरकार इससे पीछे भी जा सकती है.
उनका कहना है कि अगर वित्तीय वर्ष 2014 के दिसंबर महीने की तुलना 2015 के दिसंबर से की जाये तो राजस्व विभाग को कर संग्रह में 1.5 प्रतिशत की हानि हुई है. फास्ट ट्रैक कोर्ट पर आयुक्त के निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए उन्होंने बताया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की अवधि मार्च 2016 में समाप्त हो जायेगी, लेकिन तकरीबन 17 हजार फाइलें अब भी लंबित हैं. इससे करीब पांच सौ करोड़ रुपये के राजस्व की हानि होगी. नेपाल बनर्जी का कहना है कि राजस्व विभाग के आयुक्त राजस्व वसूलने की अनेक तरकीबें निकाल रहे हैं, लेकिन विभाग के अन्य अधिकारी उनके निर्देशों का पालन ठीक तरह से नहीं कर रहे. आयुक्त द्वारा दिये गये निर्देशों को बोरो आयुक्त अनसुना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वामो शासन में राजस्व के लिए राज्य को दो भागों में बांटा गया था. वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीन भागों में बांटा है. पहला जोन है कोलकाता, दूसरा है हावड़ा से आसनसोल एवं तीसरा है नदिया से कूचबिहार. लेकिन अधिकारियों की नाकामी की वजह से इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. संगठन की ओर से मांग करते हुए उन्होंने बताया कि लंबित फाइलों का पुन: ऑडिट होना चाहिए एवं इ-गर्वनेंस व नीति नियोजन निदेशालय के नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए.
अगर आयुक्त के निर्देशों का अन्य अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं, तो राज्य सरकार उन पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, इस प्रश्न पर नेपाल बनर्जी ने राज्य सरकार का बचाव करते हुए बताया कि राज्य सरकार को सभी चीजों की जानकारी नहीं हैं. अगर होती तो कार्रवाई अवश्य होती. उन्होंने कहा कि सरकार तो वही समझती है जो अधिकारी समझाते हैं. इसलिए मीडिया के जरिये सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की पहल हमारे संगठन की ओर से की गयी है.