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बयान से सियासी तपिश बढ़ी
बवाल. चाय श्रमिकों पर मुख्यमंत्री के बयान के िखलाफ विपक्ष ने खोला मोरचा, मेयर भी बरसे उत्तर बंग उत्सव रद्द करने की मांग, ट्रेड यूनियन नेताओं ने भी जतायी नाराजगी सिलीगुड़ी : डुवार्स में बंद एवं खस्ताहाल चाय बागानों में चाय श्रमिकों की लगातार मौत की घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिये गये बयान […]
बवाल. चाय श्रमिकों पर मुख्यमंत्री के बयान के िखलाफ विपक्ष ने खोला मोरचा, मेयर भी बरसे
उत्तर बंग उत्सव रद्द करने की मांग, ट्रेड यूनियन नेताओं ने भी जतायी नाराजगी
सिलीगुड़ी : डुवार्स में बंद एवं खस्ताहाल चाय बागानों में चाय श्रमिकों की लगातार मौत की घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिये गये बयान से यहां राजनैतिक भूचाल आ गया है. मुख्यमंत्री के बयान की हर तरफ आलोचना की जा रही है. मुख्यमंत्री ने बुधवार को सुकना में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा था कि भूख से किसी भी चाय श्रमिक की मौत नहीं हुई है. चाय बागानों में जो लोग मरे भी हैं, वह लोग चाय श्रमिक नहीं, बल्कि उनके रिश्तेदार हैं.
मुख्यमंत्री के इस बयान की सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर तथा माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य ने निंदा की है. पूर्ववर्ती वाम मोरचा सरकार में बीस वर्षों तक मंत्री रहे श्री भट्टाचार्य ने कहा कि चाय श्रमिकों को लेकर एक मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह का बयान देना सही नहीं है. मुख्यमंत्री चाय बागानों की समस्या तथा चाय श्रमिकों की मौत की घटना की अनदेखी कर रही हैं. राज्य सरकार चाय श्रमिकों की समस्या समाधान करने में पूरी तरह से विफल रही है और इस नाकामी को ढकने के लिए ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस प्रकार का बयान दे रही हैं.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि यदि चाय श्रमिकों के परिवार वालों की ही मौत हो रही है, तो इससे क्या मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी से बच जायेंगी. वास्तविकता यह है कि भूख एवं बीमारी की वजह से न केवल चाय श्रमिक, बल्कि उनके परिवार के सदस्य भी मारे जा रहे हैं. एक ओर जहां चाय श्रमिकों की स्थिति इतनी दयनीय है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार उत्तर बंग उत्सव का आयोजन कर रही है. उन्होंने उत्तर बंग उत्सव रद्द करने की मांग की. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर बंग उत्सव के आयोजन से किसी का कोई भला नहीं होगा. इस प्रकार के उत्सवों के आयोजन में राज्य सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. उत्तर बंग उत्सव के आयोजन में भी उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय द्वारा पांच करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है.
इस उत्सव का आयोजन रद्द कर पांच करोड़ रुपये से चाय श्रमिकों की सहायता की जानी चाहिए. इसके साथ ही श्री भट्टाचार्य ने सिलीगुड़ी नगर निगम में वाम मोरचा के सभी काउंसिलरों के दिसंबर महीने के वेतन एवं भत्ते को चाय श्रमिक के हित में देने की बात कही.
कुछ इसी प्रकार की प्रतिक्रिया पश्चिम बंगाल चा बागान श्रमिक कर्मचरी यूनियन के तराई डुवार्स के सहायक सचिव अमूल्य दास ने व्यक्त की है. उन्होंने भी मुख्यमंत्री के बयान को हास्यास्पद बताया है. इस बीच, नॉर्थ बंगाल टी प्लांटेशन यूनियन के महासचिव अभिजीत राय ने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान से साफ जाहिर है कि वह चाय श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर नहीं हैं. अगर मान भी लिया जाये कि चाय श्रमिकों के परिवार वालों की मौत हो रही है, तो क्या यह अच्छी बात है. चाय श्रमिकों की स्थिति काफी दयनीय है. चाय बागानों के बंद होने तथा खस्ताहाल होने से चाय श्रमिकों को वेतन और मजदूरी के लाले पड़े हुए हैं. जाहिर है कि चाय श्रमिकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है.
रुपये नहीं होने की वजह से न वह खुद खा पा रहे हैं और न ही अपने परिवार वालों को खिला पा रहे हैं. स्थिति यह है कि चाय श्रमिकों के साथ ही उनके परिवार वालों की भी मौत हो रही है. मुख्यमंत्री को इस प्रकार का बयान न देकर चाय श्रमिकों के कल्याण में ठोस कदम उठाना चाहिए. यहां उल्लेखनीय है कि डुवार्स के बंद तथा खस्ताहाल चाय बागानों में हर दिन ही किसी न किसी चाय श्रमिक की मौत की खबर आ रही है.
खासकर डंकन्स के चाय बागानों की हालत तो काफी खराब है. एक अनुमान के मुताबिक डुवार्स के चाय बागानों में पिछले छह महीनों के दौरान करीब 70 चाय श्रमिकों की मौत भूख एवं बीमारी की वजह से हो चुकी है. हालांकि राज्य सरकार भूख की वजह से श्रमिकों की मौत की बात को खारिज कर रही है.
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