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कइ नदियों में छोड़ा मछली का चारा

जलपाईगुड़ी. जलपाईगुड़ी शहर व डुवार्स के विभिन्न नदियों में मछलियों का स्वाभाविक प्रजनन धीरे धीरे कम होता जा रहा है. नदियों में मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग की ओर से शहर के करला, डुवार्स, डायना व तीस्ता नदी में आज छोटी मछलियां छोड़ी गयी. आज मत्स्य विभाग की ओर से जलपाईगुड़ी के […]

जलपाईगुड़ी. जलपाईगुड़ी शहर व डुवार्स के विभिन्न नदियों में मछलियों का स्वाभाविक प्रजनन धीरे धीरे कम होता जा रहा है. नदियों में मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग की ओर से शहर के करला, डुवार्स, डायना व तीस्ता नदी में आज छोटी मछलियां छोड़ी गयी.

आज मत्स्य विभाग की ओर से जलपाईगुड़ी के करला, नागराकाटा के डायना, मिलनपल्ली के तीस्ता नदी में रेहू, कतला, मृगेल आदि प्रजाति की मछलियां छोड़ी गयी. इसके अलावा असम के ब्रह्मपुत्र नद के प्रख्यात रेहू मछली का चारा भी छोड़ा गया. जलपाईगुड़ी मत्स्य विभाग के सहायक अधिकारी पार्थ प्रतीम दास ने बताया कि पत्येक नदी में 14 बैग छोटी मछलियां छोड़ी गयी. प्रत्येक बैग में 1400 मछलियां थी. मत्स्य विभाग के उत्तर बंगाल जोन के उप-अधिकारी डॉ उत्तम पांजा ने बताया कि उत्तर बंगाल के विभिन्न नदियों में मछलियों का स्वाभाविक प्रजनन कम हो गया है. नदी का पानी विभिन्न कारणों से प्रदूषित होने के कारण नदी वाली मछली जैसे बोरोली, द्वारिका, महशोल, पोठी मछलियों की संख्या दिनोंदिन कम होती रही है. इसके पीछे स्वाभाविक प्रजजन न होना ही कारण है.

जलपाईगुड़ी के नौ व अलीपुरद्वार के पांच नदियों में अगले दो दिनों में छोटी मछलियां छोड़े जाने की जानकारी श्री पांजा ने दी. नदी व समाज बचाओ कमेटी के संयोजक संजीव चटर्जी ने बताया कि नदी के नींव पर सभ्यता कायम है. मत्स्य विभाग का यह कोशिश जरूर रंग लायेगी. मत्स्य विशेषज्ञ कृपान सरकार ने बताया कि कृपान सरकार ने बताया कि ब्रह्मपुत्र की रेहू मछलियां काफी लोकप्रिय है.
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर बंगाल में जिस तरह से उद्योग, अस्पताल, नर्सिंगहोम के प्रदूषित पानी व चाय बागान के कीटनाशक मिश्रित पानी तथा मछलियों की शिकार के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले कीटनाशक से नदीयां प्रदूषित हो रही है. नदी का वास्तुतंत्र को बिगड़ने से रोकना होगा. इसलिए मत्स्य विभाग की ओर से मछलियां छोड़ने का निर्णय लिया गया.

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