सिलीगुड़ी : सारधा व अन्य पोंजी कंपनियों के बाद एक और चिटफंड कंपनी ‘गंगासागर फूड्स ऐंड बेवरेजेस इंडिया लिमिटेड’ निवेशकों के करोड़ों रुपये समेट कर फरार हो गयी है. कंपनी के जालसाजों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सैकड़ों निवेशकों ने सिलीगुड़ी थाना अंतर्गत पानीटंकी पुलिस चौकी में जमकर हंगामा किया. प्रदर्शनकारियों के हंगामे के बाद सिलीगुड़ी की मीडिया में कंपनी के दो डायरेक्टरों की गिरफ्तारी की अफवाह भी फैली लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने ऐसी किसी गिरफ्तारी को सिरे से खारिज कर दिया.
गौरतलब है कि कंपनी के खिलाफ इसी साल फरवरी और मई महीने में सिलीगुड़ी थाने में अलग-अलग रूप से पीड़ित निवेशकों ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. भक्तिनगर थाना क्षेत्र के फकदईबाड़ी इलाके की रहने वाली सेफाली सरकार ने इसी साल 18 फरवरी को सिलीगुड़ी थाने में एफआइआर दर्ज करायी थी. एफआइआर के अनुसार, उन्होंने 16 जून 2012 को हजारों रुपये निवेश किया था. कंपनी की प्रति डिवेंचर 100 रुपये के हिसाब से 1000 डिवेंचर खरीदी थी. बीते साल के 16 जून को ही निवेश किये गये रुपये के बदले में डेढ़ लाख रुपये कंपनी से मिलने थे.
वह स्थानीय विधान रोड संलग्न ऋषि अरविंद रोड स्थित कंपनी के दफ्तर में कई बार चक्कर काटती रही, लेकिन आश्वासन के बावजूद उन्हें एक भी रुपया वापस नहीं मिला. ऐसे हजारों निवेशक हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी की जमापूंजी कंपनी में निवेश किया. सेफाली ने बताया कि 2012 में यह चिटफंड कंपनी खोली गयी. होटल-रिसॉर्ट, नर्सिग होम, टूर ऐंड ट्रेवल्स, टाउनशिप व खाद्य प्रसंस्करण में निवेश करने के नाम पर कंपनी ने मात्र तीन साल में ही बाजार से करोड़ों रुपये ऐंठ लिये. कंपनी ने बंगाल व मध्यप्रदेश तक जाल फैला रखा था. कंपनी ने कोलकाता, ग्वालियर व अन्य कई जगहों पर भी अपने दफ्तर खोले थे. निवेशकों से करोड़ों रुपये ऐंठने के बाद कंपनी कई महीने पहले ही बंद कर दी गयी. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) गोपाल साह, एमडी नारायण पाल, डायरेक्टर सचिन राय का घर सिलीगुड़ी व आसपास के इलाकों में है. कंपनी ने दिन-मजदूरी करके किसी तरह जीविकोपाजर्न करने वाले केसला वर्मन, विभा राय, इमंती वर्मन को भी नहीं बख्शा. कंपनी ने किसी को दोगुना तो किसी को चार-पांच गुणा रुपये वापस देने के नाम पर चूना लगाया.