वह यहां सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थी. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबी दूरी की दौड़ प्रतियोगिता तथा मैराथन में केन्या के एथलीट बाजी मार जाते हैं. इसके पीछे एक बड़ा रहस्य है. उन्होंने कहा कि केन्या एक गरीब एवं अविकसित देश है. यही वजह है कि वहां कई गांवों पर एक स्कूल बनाये गये हैं. पढ़ाई के लिए बच्चों को दूर-दराज जाना पड़ता है. पांच से सात किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर बच्चे पढ़ाई के लिए अपने स्कूल आते-जाते है. इस दौरान बच्चों के अंदर एक स्वाभाविक प्रक्रिया विकसित हो जाती है. बच्चे खेलते-कूदते और दौड़ते हुए स्कूल जाते और आते है. यहीं से खिलाड़ी उभरते हैं और लंबी दूरी की रेस तथा मैराथन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ढेरों पदक ले जाते हैं.
रोशनी राई ने कहा कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की स्थिति भी कमोवेश ऐसी ही है. यहां भी दूर-दराज के क्षेत्र में स्कूल है और बच्चों को काफी दूरी तय कर स्कूल जाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों को सही प्रशिक्षण दिया जाए, तो ये लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा सकते हैं.
पर्वतीय क्षेत्र के लोगों में मैराथन के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने के लिए एक मई को कालिंपोंग में हाफ मैराथन का आयोजन किया जा रहा है. इसमें पर्वतीय क्षेत्र से करीब 50 धावक हिस्सा लेंगे. कालिंपोंग से पेदोंग तक 21.97 किलोमीटर की दूरी धावकों को तय करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि पुरुष तथा महिला वर्ग में आयोजित इस हाफ मैराथन के दोनों वर्गो में प्रथम तीन विजेताओं को मुंबई मैराथन में हिस्सा लेने के लिए भेजा जायेगा. यहां उल्लेखनीय है कि रोशनी राई स्वयं भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की धावक रह चुकी है. उन्होंने कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है.