सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिट पुलिस के तहत भक्तिनगर थाने में दर्ज मामले की सुनवाई के लिए सिलीगुड़ी में ही मेट्रोपोलिट कोर्ट बनाने की मांग ने धीरे-धीरे जोर पकड़ लिया है. एक ओर जहां सिलीगुड़ी कोर्ट के वकील इस मांग को लेकर सीज वर्क आंदोलन चला रहे हैं, वही दूसरी ओर विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने भी आंदोलन की शुरूआत कर दी है.
वर्तमान में जो स्थिति है, उसके अनुसार भक्तिनगर थाना भले ही सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिट पुलिस के अधीन हो किन्तु इस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी कोर्ट में होती है.
यहां के लोगों को विभिन्न कार्यो के लिए 50 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी का चक्कर काटना पड़ता है. इसी वजह से भक्तिनगर थाने में दर्ज मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में किये जाने की मांग काफी दिनों से की जा रही है. सिलीगुड़ी अदालत में मेट्रोपोलिटन कोर्ट नहीं होने के कारण ही वर्तमान में मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी में हो रही है. राज्य सरकार ने दो वर्ष पहले अदालत परिसर में मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने की मंजूरी दी थी और तत्कालीन कानून मंत्री ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट हेतु भवन निर्माण के लिए शिलान्यास भी किया था. उस समय सिलीगुड़ी अदालत परिसर में पहले से ही दो मंजिला भवन बना हुआ था, जहां अदालती काम-काज होते थे. बाद में इस भवन को तोड़ दिया गया और मेट्रोपोलिटन कोर्ट हेतु नये भवन के निर्माण का शिलान्यास किया गया.
तब से लेकर अब तक दो वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है, भवन निर्माण की दिशा में एक ईंट तक नहीं जोड़ी गई है. उल्टे पहले जो भवन था उसको तोड़े जाने से अदालत का काम-काज प्रभावित हो रहा है. मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने हेतु नये भवन के निर्माण की मांग को लेकर सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सदस्य पिछले 15 दिनों से सीज वर्क आंदोलन कर रहे हैं जो आज भी जारी है. यह आंदोलन 15 जनवरी तक जारी रहेगा. सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सदस्य निहार चाकी का कहना है कि 15 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सिलीगुड़ी आयेंगे. इस मुद्दे पर उनके साथ विचार-विमर्श के बाद ही आंदोलन की आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जायेगा. आज भी अदालत परिसर में वकीलों ने अपनी मांगों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन किया है. इस बीच, विभिन्न राजनीतिक दलों एवं स्वयंसेवी संगठनों ने सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन की मांगों का समर्थन किया है. इस मांग के समर्थन में वृहत्तर सिलीगुड़ी नागरिक मंच के सदस्य सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन 14 एडेड वार्डो में हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं.
संगठन के सलाहकार समिति के सदस्य सोमनाथ चटर्जी का कहना है कि वकीलों की मांगें पूरी तरह से सही है. सिलीगुड़ी के आम लोगों को जो सुविधाएं एक किलोमीटर की दूरी में उपलब्ध है उसको प्राप्त करने के लिए वह 50 किलोमीटर दूर क्यों जाएंगे. इस बीच, बंगला ओ बंगला भाषा बचाओ कमेटी ने इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप की मांग की है. कमेटी ने इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ ही राज्य के कानून मंत्री को भी एक ज्ञापन दिया है. कमेटी के अध्यक्ष डॉ मुकुंद मजूमदार का कहना है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के तहत 47 वार्ड हैं, इनमें से 14 एडेड वार्ड ऐसे हैं जो जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत है.
वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने सीआरपीसी की धारा 8(1)1973 के तहत सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन पुलिस का गठन किया. जिसमें जलपाईगुड़ी जिले के अधीन रहे भक्तिनगर थाने को भी सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अधीन कर दिया गया. राज्य सरकार ने मेट्रोपोलिटन पुलिस का तो गठन कर दिया, लेकिन मेट्रोपोलिटन कोर्ट का गठन अब तक नहीं किया गया है. इसकी वजह से भक्तिनगर थाने के तहत करीब तीन लाख लोगों की आबादी को विभिन्न कार्यो के लिए जलपाईगुड़ी जाना पड़ता है. इससे समय और धन की बर्बादी हो रही है. डॉ मजूमदार ने शीघ्र ही सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने की मांग करते हुए भक्तिनगर थाने को सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन कोर्ट के अधीन करने की मांग की है.