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उपभोक्ता मामलों को लेकर मंत्री ने की समीक्षा बैठक

सिलीगुड़ी : उपभोक्ताओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार एक नया कानून लाने जा रही है. भारतीय संसद में इस बार जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित बिल में उपभोक्ता अदालत (कन्ज्यूमर फोरम) के लिए मध्यस्थता एक विशेष फैक्टर होगा. पश्चिम बंगाल में फोरम में जाने के […]

सिलीगुड़ी : उपभोक्ताओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार एक नया कानून लाने जा रही है. भारतीय संसद में इस बार जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित बिल में उपभोक्ता अदालत (कन्ज्यूमर फोरम) के लिए मध्यस्थता एक विशेष फैक्टर होगा. पश्चिम बंगाल में फोरम में जाने के पहले मध्यस्थता की नीति का परिणाम काफी बेहतर रहा है. पश्चिम बंगाल उपभोक्ता मामले, स्वनिर्भर समूह व स्व-रोजगार विभाग के मंत्री साधन पांडे ने मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए राज्य के हर जिले व शहर में एक विशेष कार्यालय खोलने की कवायद तेज कर दी है.
शनिवार को सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल के आठों जिलों के उपभोक्ता अदालत व लीगल मेट्रोलॉजी विभाग की समीक्षा बैठक मंत्री साधन पांडे ने की. बैठक के बाद उन्होने बताया कि फोरम या अदालत में जाने से पहले दोनों पक्षों के बीच सुलह की प्रक्रिया राज्य में काफी चर्चित हुयी है. इस प्रक्रिया से राज्य के काफी ग्राहक लाभान्वित भी हुए हैं. उपभोक्ता संबंधी मामलों में मध्यस्तता की प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने भी स्वीकार किया है. संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार 1986 में बने कानून में संशोधन करने जा रही है. जिसमें मध्यस्थता एक विशेष फैक्टर है. श्री पांडे ने आगे बताया कि पश्चिम बंगाल उपभोक्ता अदालत निदेशालय हर जिले व शहर में मध्यस्थता के लिए एक विशेष कार्यालय खोला जा रहे है.
इस वर्ष उभोक्ता मंत्रालय ने 26 करोड़ रूपया राजकोष में जमा कराने का लक्ष्य लिया है. मंत्री साधन पांडे ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 20 करोड़ रूपए राजकोष में जमा कराये गये थे. आज की बैठक में लीगल मेट्रोलॉजी को लेकर भी चर्चा हुयी. लीगल मेट्रोलॉजी को विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है. लीगल मेट्रोलॉजी के माध्यम से राजस्व संग्रह करने व पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए विभाग ने एक ऐप तैयार किया है. इस ऐप के माध्यम से राजस्व की हर जानकारी मंत्रालय को होगी. लीगल मेट्रोलॉजी को मजबूत करने के लिए उपभोक्ता विभाग ने राज्य को 144 यूनिट में बांटा है. हर यूनिट के लिए एक अधिकारी (आईएलएम) नियुक्त है.
प्रत्येक आईएलएम अधिकारी अपने इलाके के पेट्रोल पंप, छोटे व बड़े बाजार, टोल प्लाजा आदि का सर्वेक्षण कर राजस्व जमा करेगें. राजस्व का पूरा लेखा-जोखा इस ऐप के माध्यम से होगा. इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी और कहां से कितना राजस्व जमा हो रहा है, इसकी जानकारी भी मंत्रालय को मिलती रहेगी. उपभोक्ता संबंधी मामलों से अनजान व गरीब लोगों की सहायता के लिए विभाग ने प्रत्येक उपभोक्ता अदालत में एक उपभोक्ता सहायता ब्यूरो शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
यह ब्यूरो स्वनिर्भर समूह या स्वेच्छा सेवी संगठन चलायेगी. इसके लिए सरकार प्रति ब्यूरो को प्रति वर्ष 3 लाख रूपए आवंटित करेगी. जिससे कार्यालय का रख-रखाव व अन्य खर्च का निपटारा होगा. प्रत्येक ब्यूरो में एक वकील होंगे. यह ब्यूरो गरीब व विषय से अनजान लोगों की सहायता करेगी. इसके अतिरिक्त इस ब्यूरों में एक वकील होंगे जो गरीब लोगों की शिकायतें सुनकर उनकी शिकायतें फोरम तक पहुंचायेगें. अच्छा काम करने वाले वकीलों को सरकार की ओर से प्रोत्साहण भी प्रदान किया जायेगा.

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