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सिलीगुड़ी : मंत्री गौतम देव ने थमाया पार्टी का झंडा

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर कब्जा करने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने कदम बढ़ा दिया है. फांसीदेवा के पूर्व माकपा विधायक व सिलीगुड़ी महकमा परिषद के लोक निर्माण विभाग के कर्माध्यक्ष छोटन किस्कू ने गुरूवार को तृणमूल का दामन थाम लिया. सिलीगुड़ी के हिलकार्ट रोड स्थित दार्जिलिंग जिला तृणमूल कार्यालय में पार्टी का झंडा […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर कब्जा करने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने कदम बढ़ा दिया है. फांसीदेवा के पूर्व माकपा विधायक व सिलीगुड़ी महकमा परिषद के लोक निर्माण विभाग के कर्माध्यक्ष छोटन किस्कू ने गुरूवार को तृणमूल का दामन थाम लिया.
सिलीगुड़ी के हिलकार्ट रोड स्थित दार्जिलिंग जिला तृणमूल कार्यालय में पार्टी का झंडा थमाकर जिला तृणमूल अध्यक्ष तथा राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने उनका स्वागत किया. छोटन किस्कू के पालाबदल से सिलीगुड़ी के राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गयी है.
छोटन किस्कू को पार्टी में शामिल कराना मंत्री गौतम देव की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. महकमा परिषद के साथ-साथ पंचायत व आने वाले लोकसभा चुनाव में भी तृणमूल को उम्मीद से बढ़कर लाभ मिलने की संभावना मंत्री गौतम देव ने जतायी है. पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छोटन किस्कू के तृणमूल में शामिल होने से सिलीगुड़ी महकमा परिषद में पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर चार हो गयी है. अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए निर्धारित ढाई वर्ष का समय भी जल्द ही पूरा होने वाला है. इसके बाद सिलीगुड़ी महकमा परिषद की वाम मोरचा बोर्ड के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जायेगा. छोटन किस्कू के राजनीतिक अनुभव का तृणमूल को काफी लाभ होगा.
इधर, छोटन किस्कू के पाला पदलने से माकपा में खलबली मच गयी है. दार्जिलिंग जिला वाम मोर्चा संयोजक जीवेश सरकार ने छोटन किस्कू के पाला बदलने का तीव्र विरोध करते हुए कहा कि तृणमूल जबरन दखल की राजनीति कर रही है. जबकि छोटन किस्कू ने कहा कि जबरदस्ती नहीं, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विकास कार्य में सहयोग करने के उद्देश्य से ही उन्होंने तृणमूल का दामन थामा है. आदिवासी समुदाय का विकास ही उनका मुख्य लक्ष्य है.
कौन हैं छोटन किस्कू
छोटन किस्कू दार्जिलिंग जिला माकपा के स्तंभ माने जाते थे. फांसीदेवा के हेतमुड़ी सिंघीझोड़ा निवासी इस आदिवासी नेता पूरे जिले के साथ राज्य में भी चर्चित हैं. 1970 के दशक से ये माकपा के साथी रह चुके हैं. वर्ष 1991 में ये पहली बार पंचायत चुनाव में खड़े हुए और वर्ष 2004 तक लगातार पंचायत प्रधान बने रहे. 2004 से लेकर 2006 तक ये सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति भी रह चुके हैं. 2006 के विधानसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त कर ये फांसीदेवा के विधायक बने.
क्या है गणित
महकमा परिषद के चुनाव में जीत कर ये लोक निर्माण विभाग के कर्माध्यक्ष बने. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी महकमा परिषद में 9 सीट है. पिछले चुनाव में माकपा ने 6 सीटों पर कब्जा किया था. तृणमूल को तीन सीट से ही संतोष करना पड़ा था. छोटन किस्कू के शामिल होने के बाद सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर कब्जा करने के लिए तृणमूल को और 1 सीट की आवश्यकता है.

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