उन्होंने भारत सरकार के नमामि गंगे अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि विद्यापति ने अपनी रचना में माता गंगा के प्रति असीम श्रद्धा दिखायी है. उस गंगा को स्वच्छ करने में सबका सहयोग अपेक्षित बताया. विद्यापति की रचनाओं में शृंगार और भक्ति पक्ष की चर्चा करते हुए बंगला समेत कई कवि साहित्यकारों की ओर से उनके लिए दी गयी उक्तियों को रेखांकित किया. साहित्य और राजनीति में संबंध को चित्रित करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कहा कि साहित्य गवाह है, साहित्यकारों ने समय-समय पर राजनीति को नियंत्रित करने का काम किया है. साहित्य का लक्ष्य आदर्श मनुष्य, समाज व समृद्ध राष्ट्र की स्थापना करना है. यह प्रयास मैंने भी कई बार किया है. संचालन कमलाकांत झा ने किया. अध्यक्षता संस्था के महासचिव रमेश झा ने की. मौके पर जिप अध्यक्ष प्रेमलता, प्रधान संरक्षक डाॅ बुद्धिनाथ मिश्र, संरक्षक रामानंद झा, जिलाधिकारी प्रणव कुमार, एसपी दीपक रंजन आदि थे. इससे पहले राज्यपाल को गार्ड ऑफ आनर दिया गया. समारोह स्थल पर मिथिलांचल के परंपरा के अनुसार पाग, चादर और मखान के माला से सम्मानित किया गया. विद्यापति का प्रतीक चित्र प्रदान किया गया.
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विद्यापति ने कई साहित्य को किया समृद्ध : राज्यपाल
समस्तीपुर/कोलकाता. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आदिकाल से मिथिलांचल की धरती देश के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा का अलख जगाती रही है. उदयनाचार्य, मंडन मिश्र, मैथिल कवि कोकिल विद्यापति आदि ने अपनी साहित्यिक रचनाओं ने विभिन्न साहित्यों को समृद्ध किया है. बिहार में शिक्षा की किरण अंतिम छोर तक पहुंचाने के […]
समस्तीपुर/कोलकाता. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आदिकाल से मिथिलांचल की धरती देश के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा का अलख जगाती रही है. उदयनाचार्य, मंडन मिश्र, मैथिल कवि कोकिल विद्यापति आदि ने अपनी साहित्यिक रचनाओं ने विभिन्न साहित्यों को समृद्ध किया है. बिहार में शिक्षा की किरण अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए महाराज कामेश्वर सिंह से कर्पूरी ठाकुर जैसे ऊर्जावान की धरती पर आने का गौरव प्राप्त हुआ. यह सौभाग्य का विषय है.
नगर भवन में बुधवार को विद्यपति परिषद के तत्वावधान में आयोजित विद्यापति पर्व समारोह का उद्घाटन करने के बाद श्री त्रिपाठी साहित्यकारों को संबोधित करते हुए कहा कि समस्तीपुर मिथिला का प्रवेश द्वार है. महाकवि विद्यापति के अवसान की धरती है. वह अपनी रचनाओं के माध्यम से बंगाल, असम, ओड़िशा, ब्रजभूमि के साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी आज जीवंत हैं.
जीवन में कर्म ही मंत्र है
राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने समारोह में अपनी रचना प्रस्तुत की. जिंदगी कुछ दिवस का केवल योग फल नहीं… यह शब्द पर चलती नहीं…जीवन में कर्म ही मंत्र है… जैसी पंक्तियों की प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों को बार-बार गहन चिंतन मंथन करने की प्रेरणा दी. राज्यपाल ने अपनी रचना के माध्यम से लोगों को प्रत्येक सुबह एक नया जीवन मिलने की बात बताते हुए उस सुबह को नयी जिंदगी के रूप में देखने और उस दिन कुछ अनोखा करने की प्रेरणा दी. जिससे व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र उनको निरंतर याद करता रहे.
पांच साहित्यकार हुए सम्मानित
समारोह के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, बिहार विस अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी व पूर्व मंत्री डाॅ मदन मोहन झा ने जिले के पांच साहित्यकारों को पाग, चादर और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. इसमें डाॅ प्रफुल्ल सिंह मौन, डाॅ वासुकी नाथ झा, रामाश्रय ईश्वर संत, डाॅ अमलेंदु शेखर पाठक व ईश्वर करुण शामिल हैं.
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