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माकपा के गढ़ रहे बीजपुर में शुभ्रांशु राय की तृणमूल से होगी सीधी टक्कर या लेफ्ट बनायेगा मुकाबले को त्रिकोणीय

Bengal Chunav 2021, Subhrangshu Roy, Mukul Roy: पिता मुकुल राय के भाजपा में शामिल होने के बावजूद शुभ्रांशु ने तृणमूल कांग्रेस नहीं छोड़ी. लेकिन वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के एक दिन बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दलविरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया.

कोलकाता (मनोरंजन सिंह) : उत्तर 24 परगना जिला के बीजपुर विधानसभा सीट पर लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए इस बार राह आसान नहीं है. तृणमूल उम्मीदवार के रूप में शुभ्रांशु राय इस सीट पर दो बार जीत चुके हैं. शुभ्रांशु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मुकुल राय के पुत्र हैं. मुकुल कभी राजनीति में तृणमूल कांग्रेस के चाणक्य माने जाते थे.

पिता मुकुल राय के भाजपा में शामिल होने के बावजूद शुभ्रांशु ने तृणमूल कांग्रेस नहीं छोड़ी. लेकिन वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के एक दिन बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दलविरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया. इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. हालांकि, निलंबित किये जाने के पहले शुभ्रांशु ने अपने पिता के संगठन कौशल की प्रशंसा की थी.

लोकसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों में पार्टियों के प्रदर्शन पर गौर करें, तो वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 28 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी, जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 128 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया. इधर, वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 214 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने वाली तृणमूल कांग्रेस, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 158 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बना सकी.

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वर्ष 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211, वाम मोर्चा को 33, कांग्रेस को 44 और भाजपा को मात्र तीन सीट पर जीत मिली थी. लेकिन, वोट शेयर में भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया. तृणमूल ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट हासिल किये. वहीं भाजपा को 40.3 प्रतिशत वोट मिले. भाजपा को कुल 2,30,28,343 वोट मिले, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 2,47,56,985 वोट.

राजनीति के पंडितों का कहना है कि बीजपुर कभी माकपा का गढ़ भी रहा है, इसलिए लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है. वर्ष 1977 से साल 2006 तक लगातार 7 बार विधानसभा चुनावों में इस सीट पर माकपा उम्मीदवार विजयी रहे हैं.

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वर्ष 2011 व 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे. वर्ष 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शुभ्रांशु राय को 76,842 वोट मिले थे, जबकि माकपा उम्मीदवार डॉ रवींद्रनाथ मुखर्जी को 28,888 वोट और भाजपा उम्मीदवार आलो रानी छाया को 13,731 वोट मिले थे.

इसके पहले वर्ष 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शुभ्रांशु राय को 65,479 वोट मिले, जबकि माकपा उम्मीदवार डॉ निर्झरिणी चक्रवर्ती को 52,867 वोट और भाजपा उम्मीदवार कमल कांत चौधरी को 4,841 वोट मिले थे.

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Posted By : Mithilesh Jha

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