सोमवार को शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस संबंध में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि राज्य इस बारे में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखा जायेगा. सीबीएसई ने ही इस परीक्षा का आयोजन किया था. रविवार को हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा में देशभर में ग्यारह लाख से अधिक एमबीबीएस एवं बीडीएस उम्मीदवारों ने 1900 केंद्र में परीक्षा दी थी. एनईईटी 10 भाषाआें अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलगू, मराठी, बांग्ला, असमिया, गुजराती, कन्नड़ आैर आेड़िया में आयोजित की जाती है.
श्री चटर्जी ने आरोप लगाया कि बांग्ला भाषा का प्रश्नपत्र अंग्रेजी प्रश्नपत्र से अलग था आैर तुलनात्मक रूप से कठिन था. तय था कि सभी भाषा के प्रश्न समान होंगे. पर यह देखा गया कि बांग्ला भाषा में तैयार किया गया प्रश्नपत्र सेट कठिन था. जबकि अंग्रेजी का प्रश्नपत्र सेट आसान था. नाराज शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि यह राज्य की प्रतिभा एवं सही उम्मीदवारों को अवसर से वंचित करने का प्रयास है.
राज्य के छात्रों के साथ यह एक बड़ा अन्याय है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जायेगा. छात्र-छात्राआें के अभिभावकों ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप करने की अपील की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भी काफी नाराज हैं. श्री चटर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य के मेधावी छात्रों का रास्ता रोकने एवं उनके भविष्य को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है. हम इस मामले को हल्के में नहीं ले रहे हैं आैर इस अन्याय का अंत होने तक इंतजार करेंगे. केंद्र के इस कदम से राज्य के हजारों छात्र-छात्राआें का भविष्य अंधेरे में पड़ गया है. हम लोग इस मुद्दे पर केंद्र व सीबीएसई को पत्र लिखेंगे.