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जमा कर लिये गये मोबाइल फोन, परिवार से नहीं रहेगा कोई संपर्क
अजय विद्यार्थी
कोलकाता : कोयंबटूर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (अारएसएस) के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पश्चिम बंगाल में जिहादी तत्वों के निरंतर बढ़ रही हिंसा, राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम वोट-बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्र-विरोधी तत्वों को दिये जा रहे बढ़ावे तथा राज्य में घटती हिंदू जनसंख्या के प्रति चिंता के बाद आरएसएस बंगाल में अपने विस्तार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तेज कर दिया है.
स्वयंसेवकों को शारीरिक व बौद्धिक प्रशिक्षण देने के लिए रविवार को हावड़ा के तांतीबेड़िया में सरस्वती विद्या मंदिर में 21 दिनों का प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण आरंभ हुआ है. इसका उद्घाटन अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अद्वैत चरण दत्त व प्रांत संघचालक व प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रमाणिक ने किया. स्वयंसेवकों को शारीरिक प्रशिक्षण के तहत सूर्य नमस्कार, दंड (लाठी) युद्ध व मार्शल आर्ट्स व संगीत के प्रशिक्षण के तहत ड्रम बजाने, सेक्साफोन बजाने, बांसुरी बजाने, बिगुल बजाने आदि का प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस दौरान स्वयंसेवकों के मोबाइल फोन जमा करा लिये जाते हैं. आपातकालीन परिस्थिति के अतिरिक्त परिवार के सदस्यों से बातचीत की अनुमति नहीं होती है.
321 स्वयंसेवक ले रहे प्रशिक्षण
आरएसएसराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत कार्यवह डॉ जिष्णु बसु ने बताया कि प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग में 321 स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण शुरू हुआ है. 21 दिनों तक स्वयंसेवकों को बौद्धिक व शारीरिक प्रशिक्षण दिये जायेंगे. देश व समाज की वर्तमान परिस्थितियों, देश के महापुरुषों के योगदान व अन्य जानकारियों के संबंध में जानकारी दी जाती है. आरएसएस के प्रचारकों द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिये जाते हैं.
आरएसएस की मूलधारा में शामिल होने के लिए यह प्रशिक्षण बहुत ही आवश्यक है. स्वयंसेवकों को प्रथम वर्ष से लेकर तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के तहत प्रशिक्षक लेना आवश्यक होता है. तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में राष्ट्रीय स्तर पर होता है. इस वर्ष 14 मई से राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण शुरू होगा. हावड़ा के तांतीबेड़िया के साथ-साथ रायगंज व बहरमपुर में भी प्राथमिक शिक्षा वर्ग आयोजन के कार्यक्रम हैं. उन्होंने कहा कि संघ द्वारा नियमित रूप से प्रति वर्ष शिक्षा वर्ग का आयोजन होता है. इसमें कुछ भी नया नहीं है.
प्रशिक्षण में आधुनिक तकनीक का होता है इस्तेमाल
डॉ बसु ने कहा कि प्रशिक्षण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होता है. पावर प्वाइंट का इस्तेमाल होता है. प्रथम वर्ष के शिक्षा वर्ग में 18 वर्ष से 40 वर्ष के उम्र के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जाता है. इस वर्ष के स्वयंसेवकों को शारीरिक प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाता है, जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र के स्वयंसेवकों को लिए विशेष वर्ग का आयोजन किया जाता है. इसमें बौद्धिक प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाता है.
एक वर्ष में बढ़ी 300 शाखाओं की संख्या
डॉ बसु ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान संघ की कुल 300 शाखाओं की संख्या बढ़ी है. पिछले वर्ष पूरे बंगाल में लगभग 1500 शाखाएं लगती थी, इस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 1820 हो गयी है. युवाओं को संघ की अोर आकर्षित करने के लिए वेबसाइट के माध्यम से ज्वाइंन आरएसएस में काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.
एक लाख से अधिक प्रस्ताव की प्रतियां की गयीं वितरित
डॉ बसु ने कोयंबटूर में संघ अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पश्चिम बंगाल को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था. उस प्रस्ताव की हिंदी, अंग्रेजी व बांग्ला भाषा की लगभग एक लाख प्रतियों को वितरित किया गया है, ताकि बंगाल की वर्तमान स्थिति के संबंध में आम लोगों को जागरूक किया जा सके. खास कर वर्तमान सरकार जिस तरह से निम्न व पिछड़े वर्ग को निशाना बना रही है और तुष्टीकरण की नीति अपना रही है, उसकी ओर से भी ध्यान आकर्षित किया जा रहा है.
आरंभ में सात दिनों का बेसिक प्रशिक्षण
21 दिनों का प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
21 दिनों का द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
25 दिनों का नागपुर में तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
शारीरिक प्रशिक्षण के तहत ये सिखाये जाते हैं
नियमित व्यायाम
सूर्य नमस्कार
दंड (लाठी) युद्ध
मार्शल आर्ट्स
संगीत का प्रशिक्षण
ड्रम बजाने
सेक्साफोन बजाने
बांसुरी बजाने
बिगुल बजाने
क्या होती है स्वयंसेवकों की दिनचर्या
सुबह 4 बजे उठ कर दैनिक कार्य से निपटना
एकात्मकता स्त्रोतम में ध्यान व महापुरुषों की जानकारी
शारीरिक व्यायाम व शारीरिक प्रशिक्षण का अभ्यास
संघ के विशेषज्ञों व प्रचारकों द्वारा विभिन्न विषयों पर परिचर्चा
शाम को पुन: डेढ़ घंटे तक शारीरिक व्यायाम व प्रशिक्षण राष्ट्रभक्ति गीत
रात दस बजे दीप निवारण की घोषणा के साथ ही सो जाना

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