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अलग मंत्रालय चाहते हैं किन्नर
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है किन्नर समुदाय कोलकाता : राज्य में महिला व बाल विकास मंत्रालय है, उसके लिए मंत्री भी नियुक्त हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय से उभय लिंग की मान्यता के बाद भी उभयलिंग के लिए कोई मंत्रालय नहीं है. केंद्र सरकार के साथ प्रत्येक राज्य में […]
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है किन्नर समुदाय
कोलकाता : राज्य में महिला व बाल विकास मंत्रालय है, उसके लिए मंत्री भी नियुक्त हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय से उभय लिंग की मान्यता के बाद भी उभयलिंग के लिए कोई मंत्रालय नहीं है. केंद्र सरकार के साथ प्रत्येक राज्य में इसके लिए अलग मंत्री व मंत्रालय की मांग किन्नर समुदाय कर रहे हैं. महानगर के रवींद्र सदन स्थित एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स में ट्रांसजेंडर समुदाय की आेर से अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें इनलोगों की समस्याओं पर सरकार के लचर रुख को लेकर चर्चा हुई.
इनलोगाें ने सार्वजनिक स्थलों पर अलग टायलेट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की. संगोष्ठी में सर्वोच्च न्यायालय की राय के बाद भी राज्य में इस समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करने व इनके परिवार के प्रति आज भी सरकार के रवैया को निराशजनक बताया गया. एटीएचबी की अध्यक्ष रंजीता सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में किन्नरों की समस्याओं के समाधान के लिए एक बोर्ड का भी गठन किया गया है, लेकिन उसकी स्थिति निधिराम सरदार वाली ही बनी हुई है. इस बोर्ड के पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं, जिसकी वजह से विभिन्न स्थानों पर किन्नरों के साथ भेदभाव व सरकारी नौकरी में इनके लिए आरक्षण जैसी सुविधा नहीं है. एशोसिएशन ऑफ ट्रांसजेंडर/ हिजरा इन बंगाल (एटीएचबी) की ओर से इसके लिए मुहिम चलायी जा रही है.
उन्होंने बताया कि महानगर में तो कुछ हद तक किन्नरों में जागरूकता है, लेकिन जिला स्तर पर जागरूकता काफी कम है. इसके लिए एटीएचबी की ओर से आनेवाले दिनों में वृहत रूप से कार्यक्रम चलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि रुट बेस पर अभी भी काफी काम बाकी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 15 अप्रैल को ट्रांसजेंडर दिवस के रूप में प्रति वर्ष आधिकारिक मान्यता मिलनी चाहिए. प्रत्येक वर्ष इसी दिन यह समुदाय ट्रांसजेडर दिवस के रूप में मनाता है.
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