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बंगाल के किसानों की हालत सबसे खराब

कोलकाता: सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा भारतीय किसानों से संबंधित सर्वेक्षण के परिणाम जारी किये गये हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि देश भर में किसानों की सर्वाधिक खस्ता हालत बंगाल की है. 18 राज्यों व 137 जिलों में करीब 11 हजार व्यक्तियों की राय लेने के बाद इस रिपोर्ट […]

कोलकाता: सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा भारतीय किसानों से संबंधित सर्वेक्षण के परिणाम जारी किये गये हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि देश भर में किसानों की सर्वाधिक खस्ता हालत बंगाल की है.

18 राज्यों व 137 जिलों में करीब 11 हजार व्यक्तियों की राय लेने के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है. इसमें यह पाया गया है कि बंगाल के किसानों की हालत देश भर में सबसे ज्यादा खराब है. यहां करीब 78 फीसदी किसानों की हालत दयनीय है. इसके बाद केरल का नंबर आता है, जहां 72 फीसदी किसानों की हालत शोचनीय है.

इसके बाद हिमाचल प्रदेश (67 फीसदी), आंध्र प्रदेश (65 फीसदी), असम (60 फीसदी), झारखंड (60 फीसदी), हरियाणा (57 फीसदी), बिहार (54 फीसदी) का नंबर आता है. मध्य प्रदेश में किसानों की हालत काफी बेहतर है. यहां केवल 22 फीसदी किसानों की हालत ही उपयुक्त नहीं है. किसानों से जब पूछा गया कि कौन सी पार्टी उनकी सबसे अच्छी देखभाल करती है तो 57 फीसदी का कहना था कि इस बाबत वह कुछ नहीं कह सकते.

जबकि 16 फीसदी का मानना था कि भाजपा और 13 फीसदी के मुताबिक कांग्रेस उनकी बेहतर देखभाल करती है. एक फीसदी ने ही वाममोरचा को बेहतर बताया. भारतीय कृषक समाज द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकांश किसान यह मानते हैं कि सरकारी कल्याण योजनाओं व नीतियों का लाभ केवल धनी किसानों को ही मिलता है. केवल 10 फीसदी का ही मानना है कि इससे गरीब व पिछड़े किसानों को लाभ होता है. 85 फीसदी किसानों ने मनरेगा का नाम सुना है, इनमें से 51 फीसदी का कहना था कि उनके घर को इस योजना के तहत काम नहीं मिला. 27 फीसदी ने भूमि अधिग्रहण का नाम सुना है उनमें से 57 फीसदी इसे हानिकारक मानते हैं. 74 फीसदी किसानों ने कृषि संबंधित कोई भी जानकारी कृषि विभाग से नहीं ली है.

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