यह कानून व्यवस्था का मामला है, जिससे प्रशासन को निबटना चाहिए. श्री दास की इस टिप्पणी से पहले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि जेएनयू और जादवपुर विश्वविद्यालय को अफजल गुरु के समर्थनवाले उनके नारों के लिए या कुलपतियों को घेर कर रोके रखने के लिए सम्मान नहीं दिया गया है. इन संस्थानों को उनके बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन एवं उत्कृष्ट शोध के लिए सम्मान दिया गया है.
उन्होंने कहा कि जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र हमेशा प्रदर्शन नहीं करते और यह बात इस तथ्य से साबित होती है कि केंद्रीय एचआरडी रिपोर्ट में जेयू को समग्र श्रेणी में 12वां रैंक, विश्वविद्यालयों में पांचवां स्थान और इंजीनियरिंग संस्थानों में नौवां स्थान मिला है. वाइस चांसलर प्रो दास का कहना है कि एक लोकतांत्रिक देश में हर किसी को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के उपयोग का अधिकार है. हमारा यह भी मानना है कि किसी को भी संवैधानिक सीमा के अंतर्गत रह कर ही लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसकी स्पष्ट व्याख्या की गयी है. लोकतंत्र में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अपने अधिकार के इस्तेमाल के समय किसी आैर की आजादी में दखल नहीं पड़ना चाहिए. उनका कहना है कि वे हमेशा रचनात्मक सोच का समर्थन करते हैं. पूरी टीम को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं. अगर मेरे विचार किसी अन्य के विचार से मेल नहीं खाते हैं, तब भी मैं हर कदम के लिए हरेक को विश्वास में लेता हूं. गाैरतलब है कि विश्वविद्यालय परिसर में शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान भगवा ताकतों द्वारा एएफएसयू (कला संकाय छात्र संघ) के लड़कों और लड़कियों को प्रताड़ित करने के आरोपों पर कुलपति ने कहा था कि सभागार पर जेयू का मालिकाना अधिकार नहीं है.