इससे स्कूलों में ड्राॅप आउट की समस्या भी बढ़ सकती है, क्योंकि बंगाल में शून्य से पांच वर्ष के कुल बच्चों में से मात्र 38.8 प्रतिशत बच्चों का ही आधार कार्ड बना हुआ है. वहीं, पांच वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु के 67.3 प्रतिशत बच्चों का आधार कार्ड बना हुआ है. ऐसी परिस्थिति में अगर स्कूलों में मिड डे मील के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाता है तो लाखों बच्चों के सामने से भोजन की थाली छीन ली जायेगी.
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मिड डे मील के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किये जाने का मामला: …तो भूखे रह जायेंगे लाखों बच्चे
काेलकाता: केंद्र सरकार ने मिड डे मील के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने का निर्देश दिया है. जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं होगा, उनको स्कूल में मिड डे मील नहीं मिलेगा. अगर बंगाल में ऐसा होता है तो बंगाल के लाखों बच्चे स्कूल में भूखे रह जायेंगे. इससे स्कूलों में ड्राॅप आउट की समस्या […]
काेलकाता: केंद्र सरकार ने मिड डे मील के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने का निर्देश दिया है. जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं होगा, उनको स्कूल में मिड डे मील नहीं मिलेगा. अगर बंगाल में ऐसा होता है तो बंगाल के लाखों बच्चे स्कूल में भूखे रह जायेंगे.
धीमी गति से चल रहा आधार कार्ड बनाने का काम
भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के वरिष्ठ अधिकारी एस प्रसाद ने बताया कि बंगाल में जिन नोडल एजेंसियों को आधार कार्ड बनाने का जिम्मा सौंपा गया है, वह काफी धीमी गति से कार्य कर रही हैं. इसके साथ-साथ आधार कार्ड बनाने के प्रति राज्य सरकार भी सही प्रकार से जागरूकता अभियान नहीं चला रही है, जिसकी वजह से आधार कार्ड बनाने की गति धीमी है.
केंद्र सरकार का फैसला अमानवीय : पार्थ
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पार्थ चटर्जी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को अमानवीय करार देते हुए कहा कि यह कैसा फरमान है. यह बच्चों के सामने से भोजन की थाली छीनने का फरमान है, जिसे लागू कर पाना संभव नहीं है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस फैसले का विरोध किया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का हमारी सरकार विरोध करती है.
सख्ती से बनेगा आधार कार्ड : दिलीप
केंद्र सरकार ने आधार कार्ड बनाने के लिए पर्याप्त समय दिया है. जब तक आधार कार्ड बनाने के लिए सख्ती नहीं की जायेगी, तब तक लचर व्यवस्था बनी रहेगी. केंद्र सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है, इससे लोग जल्द से जल्द आधार कार्ड बनाने की कोशिश करेंगे. केंद्र सरकार का यह फैसला जनहित विरोधी नहीं, बल्कि जनता को जागरूक करने के लिए है, ताकि लोग यथाशीघ्र अपना आधार कार्ड बनवा लें.
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