कोलकाता: निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर कथित तौर पर मरीजों से अनाप-शनाप पैसा वसूले जाने से मुख्यमंत्री बेहद खफा हैं. मुख्यमंत्री की हिदायत को भी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस पर सख्त कदम उठा सकती है. दोषी निजी अस्पतालों व नर्सिंग […]
कोलकाता: निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर कथित तौर पर मरीजों से अनाप-शनाप पैसा वसूले जाने से मुख्यमंत्री बेहद खफा हैं. मुख्यमंत्री की हिदायत को भी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस पर सख्त कदम उठा सकती है. दोषी निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम के खिलाफ मामले दर्ज किये जा सकते हैं. यही नहीं, अगले महीने बेलगाम निजी अस्पतालों की नकेल कसने के लिए राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पेश कर सकती है.
गौरतलब है कि हाल में कई निजी अस्पतालों में इलाज में लापरवाही, भारी-भरकम बिल, अस्पताल खर्च का भुगतान न करने तक मृतक का शव परिजनों को न सौंपने आदि को लेकर विवाद सामने आये हैं. सीएमआरआइ में तोड़फोड़ की घटना हुई थी. सॉल्टलेक के अपोलो ग्लेनिग्लस हॉस्पिटल पर भी गंभीर आरोप लगे हैं. परिजनों ने शुक्रवार को आरोप लगाया है कि इलाज का पूरा खर्च जमा नहीं कराने के कारण अस्पताल ने संजय राय को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया. परिजनों द्वारा फिक्स्ड डिपॉजिट के कागजात जमा कराये जाने के बाद उसे अस्पताल से एसएसकेएम रेफर किया गया. एसएसकेएम अस्पताल में भरती कराये जाने के कुछ ही घंटे बाद संजय राय की मौत हो गयी. इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से अपोलो अस्पताल प्रबंधन को तलब किया गया. शनिवार को भी अपोलो पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा है. अस्पतालों के रवैये से मुख्यमंत्री बेहद नाराज बतायी जा रही हैं. कहा जा रहा है कि अपोलो के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करायी जा सकती है.
अपोलो की रिपोर्ट से स्वास्थ्य विभाग संतुष्ट नहीं: अपोलो ग्लेनिग्लस हॉस्पिटल में गुरुवार की रात कथित तौर पर चिकित्सकीय लापरवाही से मौत के मामले में अपोलो प्रबंधन ने शनिवार को स्वास्थ्य भवन में अपनी रिपोर्ट पेश की. अस्पताल के चीफ एक्जीक्यूटिव अधिकारी डॉ राणा दास गुप्ता और तीन अन्य अधिकारी स्वास्थ्य भवन पहुंचे व मुख्य स्वास्थ्य सचिव आर एस शुक्ला तथा डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेस प्रो डॉ विश्व रंजन सत्पथी से मुलाकात की. इस मुलाकात में अपोलो ने संजय राय की मौत की घटना को लेकर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी. मुख्य स्वास्थ्य सचिव डॉ आरएस शुक्ला ने बताया कि ओपोलो ने जो रिपोर्ट दी वह सटीक नहीं है.
रिपोर्ट में कई खामियां हैं. इसमें दिखाया गया है कि अस्पताल में चिकित्साधीन संजय राय की क्लीनिकल जांच कराये गये थे. जिसके लिए दो लाख रुपये मरीज के परिजनों से लिये गये. लेकिन क्लीनिकल रिपोर्ट में कौन-कौन सी जांच की गयी है यह स्पष्ट नहीं किया गया है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को सामने रखते हुए कहा कि इलाज खर्च के लिए यह जायज नहीं कि मरीज के परिजनों से फिक्स्ड डिपॉजिट के कागजात लिये जायें. वहीं प्रो. सत्पथी ने भी अस्पताल के अधिकारी को फटकार लगाया. उन्होंने मरीज के इलाज में लापरवाही की बात को भी सही ठहराया. मृतक के परिजनों को इलाज का खर्च लौटाने जाने को कहा. वहीं डॉ राणा दास गुप्ता ने कहा कि इलाज खर्च को लौटाने के लिए हमने मरीज के परिजनों से संपर्क किया था. लेकिन उसके बाद परिजनों ने दोबारा प्रबंधन से बात नहीं की.
अपोलो पर फिर लगा इलाज में लापरवाही का आरोप
कोलकाता. 24 घंटे के भीतर ही अपोलो अस्पताल पर फिर चिकित्सकीय लापरवाही से मरीज की मौत के आरोप लगे हैं. कथित तौर पर मरीज की मौत के बाद परिजनों से 6 लाख रुपये वसूले गये. मृतक रत्ना घोष (60) बर्दवान की रहने वाली थी. रत्ना को हृदय से संबंधित समस्याओं को लेकर पहले इएम बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया. इसके बाद बेहतर चिकित्सा के लिए उसे अपोलो ग्लेनिग्लस अस्पताल में दाखिल कराया गया. रत्ना 11 फरवरी को अस्पताल में दाखिल करायी गयी थी. उसका इलाज कार्डियक सर्जन डॉ अमर नाथ घोष की.
देखरेख में चल रहा था. जांच में पता चला कि रत्ना के हृदय वाल्व में समस्या है. जिसका ट्रांसप्लांट किया जाना था. लेकिन उसकी हृदय की हालत खराब होने के कारण चिकित्सकों ने पेस मेकर लगाने का फैसला लिया. अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सौमित्र पात्र के नेतृत्व में पेस मेकर लगाया गया. लेकिन उसकी सेहत में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी. परिजनों का आरोप है कि शनिवार सुबह 4.30 बजे रत्ना मौत हो गयी. इसके बाद परिजनों को 8 लाख 68 हजार देने को कहा गया. इस पर अस्पताल कर्मियों व परिजनों के बीच कहासुनी भी हुई.
बताया जा रहा है कि मृतका के परिजनों ने करीब 6 लाख रुपये का भुगतान किया. हालांकि चिकित्सकीय लापरवाही की घटना को लेकर मरीज के परिजनों की ओर से किसी प्रकार की शिकायक दर्ज नहीं करायी गयी है. अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों की ओर से लगाये गये सभी आरोपों का खंडन किया है. अस्पताल की ओर से डॉ जय बोस ने कहा कि मरीज को सांस लेने में भी समस्या हो रही थी. इसलिए अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ एस राय चौधरी की देखरेख में मरीज की चिकित्सा चल रही थी. उसे गैस की भी समस्या थी. देर रात हर्ट अटैक से मरीज की मौत हो गयी.