कोलकाता. हिंदी, गुरमुखी, नेपाली और अलचिकी भाषा के बाद राज्य सरकार ने दो आैर भाषाआें को मान्यता दी है. मंगलवार को मातृ भाषा दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह घोषणा की. देशप्रिय पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जंगलमहल इलाके में बड़ी संख्या में उरांव आदिवासी रहते हैं. चाय बागानों में भी इनकी बड़ी संख्या काम करती है. बंगाल में लगभग 16 लाख उरांव हैं. ये लोग आपस में कुरूक भाषा बोलते हैं. इनकी वर्षों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए मातृ भाषा दिवस के मौके पर मैं कुरूक भाषा को भी मान्यता देने घोषणा करती हूं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजवंशियों-कामतापुरी के लोगों की भी काफी दिनों से यही मांग है, चूंकि इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है इसलिए इसके लिपि निर्धारण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की रिपोर्ट आने पर उसी अनुसार फैसला लिया जायेगा. सुश्री बनर्जी ने कहा कि सभी भाषा महत्वपूर्ण है. 21 फरवरी का उनके जीवन से गहरा संपर्क है. उनकी जिंदगी की बड़ी चाहत थी कि वे ढाका में बांग्ला भाषा के लिए शहीद हुए लोगों को वहां जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करें और वह ख्वाहिश पूरी हो चुकी है. ढाका जाकर मैंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. वह लम्हा मुझे हमेशा याद रहेगा.