बुधवार सुबह वह घायल कार्यकर्ताओं को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे और उसके बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह दिल्ली में धरना देने की बात कर रही हैं, लेकिन अगर हम चाहें, तो उनको दिल्ली में घुसने भी नहीं देंगे, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते. आपसे अनुरोध है कि गणतंत्र का सम्मान करें और राज्य में स्वाभाविक परिस्थिति लौटायें. इसके साथ ही श्री विजयवर्गीय ने कोलकाता पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा कार्यालय पर हमले हो रहे थे, कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा था और उस समय पुलिस मूकदर्शक बन कर खड़ी हुई थी. एेसा लग रहा था कि पुलिस के संरक्षण में हमलावर ऐसा कर रहे थे.
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हम हिंसा पर उतरे, तो देश में घूम नहीं पायेंगी ममता : विजयवर्गीय
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस तो सिर्फ बंगाल में है, लेकिन भाजपा पूरे देश में है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, जहां भी जायेंगे, आपको भाजपा के नेता व समर्थक मिलेंगे. अगर हम लोग हिंसा शुरू कर दें, तो क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश में कहीं घूम पायेंगी. तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले से घायल भाजपा कार्यकर्ताओं […]
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस तो सिर्फ बंगाल में है, लेकिन भाजपा पूरे देश में है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, जहां भी जायेंगे, आपको भाजपा के नेता व समर्थक मिलेंगे. अगर हम लोग हिंसा शुरू कर दें, तो क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश में कहीं घूम पायेंगी. तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले से घायल भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद यह प्रतिक्रिया भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दी.
कोलकाता पुलिस आयुक्त के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग
श्री विजयवर्गीय ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग की और कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं व मंत्रियों को बचाने के लिए राजीव कुमार ने सारदा चिटफंड कंपनी के सभी सबूत व दस्तावेज गायब कर दिये हैं. उन्होंने सीबीआइ से कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ भी जांच करने मांग की.
उन्होंने कहा कि राजीव कुमार के खिलाफ वह स्वयं देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह व दिल्ली के सीबीआइ कार्यालय में लिखित रूप से शिकायत दर्ज करायेंगे. उन्होंने कोलकाता पुलिस आयुक्त को सतर्क करते हुए कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस का पक्ष लेते हुए कार्य कर रहे हैं, दिल्ली में केंद्र सरकार है और आइपीएस अधिकारियों के लिए संविधान व कानून भी है, जिसे उन्हें मान कर अपनी ड्यूटी करनी चाहिए.
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