27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैदियों के बच्चों को भी सम्मान से जीने का हक : बीडी शर्मा

कोलकाता : फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) की ओर से शनिवार को कैदियों के बच्चों को मिले नया जीवन विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. इसमें कैदियों के बच्चों के जीवन पर कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की. इस माैके पर मुख्य अतिथि आइपीएस (डायरेक्टर जनरल, रिटायर्ड) बीडी शर्मा ने कहा कि जेल में […]

कोलकाता : फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) की ओर से शनिवार को कैदियों के बच्चों को मिले नया जीवन विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. इसमें कैदियों के बच्चों के जीवन पर कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की. इस माैके पर मुख्य अतिथि आइपीएस (डायरेक्टर जनरल, रिटायर्ड) बीडी शर्मा ने कहा कि जेल में कैदी अपने कर्मों की सजा भुगतते ही हैं, लेकिन बाहर उनके बच्चों को भी अपमान सहना पड़ता है. बिना किसी कसूर की सजा उन्हें भुगतनी पड़ती है. उनके रहने व उनकी शिक्षा का कोई ठिकाना नहीं होता है. सरकारी होम की बात करें, तो वहां भी स्थिति बहुत आशाजनक नहीं है.

राज्य के सुधार गृहों में भी हालात अच्छे नहीं होते हैं. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाता है. यह समाज की एक बहुत बड़ी समस्या है. राज्य के कई सुधार गृहों में सकारात्मक विकास कार्य करनेवाले श्री शर्मा का कहना है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए केवल सरकार के भरोसे बैठने से काम नहीं चलेगा. इसके लिए कुछ सोसायटी व गैर सरकारी संस्थाओं को भी आगे बढ़ कर जिम्मेदारी लेनी होगी. सबके सहयोग व ईमानदार कोशिश से ऐसे बच्चों का जीवन सुधारा जा सकता है. उनको जीवन मूल्यों की शिक्षा से भी जोड़ा जा सकता है. सटरडे क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में उद्योगपति गौरांग जालान द्वारा प्रोड्यूस की गयी फिल्म फ्लिकरिंग एंजेल्स दिखायी गयी. मौके पर श्री जालान ने कहा कि कई सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर बड़े बजट की फिल्में बनती हैं, लेकिन कैदियों के बच्चों पर कोई फिल्म नहीं बनाती है, जबकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है और देश के सजग नागरिक होने के नाते हमें ऐसे बच्चों के जीवन को भी बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए. ऐसी फिल्म जागरूकता फैलायेगी.

एक ऐसा मंच तैयार करना चाहिए, जहां कुछ विशेषज्ञ मिलकर एक साथ इन बच्चों को सशक्त व शिक्षित करने के लिए आगे आयें. विशेषकर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जाये. फिल्म का निर्देशन शुभ्राजीत मित्रा ने किया. क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ सब्यसाची मित्रा ने कहा कि अपने माता-पिता की वजह से ऐसे बच्चे तनाव व डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. उनकी सेहत बिगड़ने लगती है.

इनके जीवन को सुधारने व उनको सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा. होली चाइल्ड होम की पूर्व निरीक्षक सिस्टर मैरीटा ने कहा कि ऐसे बच्चे होम से वापस घर नहीं जाना चाहते हैं, क्यों कि लोग उनसे सवाल पूछते हैं. होम में ये बच्चे सामान्य जीवन जी सकें, इसके लिए इनकी गोपनीयता रखी जाती है. इनको विशेष देखभाल की जरूरत होती है. फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) की चेयरपर्सन अनुपमा सुरेका ने स्वागत भाषण में कहा कि जो लोग किसी भी मामले में जेल में बद हैं, उनके बच्चों के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया जा सकता है. बच्चों का उसमें कोई दोष नहीं होता है, लेकिन उनको पीड़ा झेलनी पड़ती है. सरकार व निजी संस्थाओं को मिलकर ऐसे बच्चों के लिए काम करना चाहिए. विशेष कर लड़कियों को सशक्त व आत्मनिर्भर करने के लिए एफएलओ की ओर से एक विशेष ट्रेनिंग दी जा सकती है, ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी रह सकें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें