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मानस को मिला तृणमूल में शामिल होने का तोहफा

कोलकाता. राजनीति में कुछ भी हो सकता है. इसकी एक बानगी बंगाल की राजनीति में दिखी. बंगाल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही पूर्व कांग्रेस विधायक मानस भुइंया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. निचली अदालत ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया था. इस बीच मानस भुइंया कांग्रेस का […]

कोलकाता. राजनीति में कुछ भी हो सकता है. इसकी एक बानगी बंगाल की राजनीति में दिखी. बंगाल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही पूर्व कांग्रेस विधायक मानस भुइंया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. निचली अदालत ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया था. इस बीच मानस भुइंया कांग्रेस का दामन छोड़ तृणमूल में शामिल हो गये. इसका फायदा उन्हें मिला. हत्याकांड की चार्जशीट में उनका नाम नहीं है. साथ ही सबंग के जिस तृणमूल नेता की हत्या का आरोप उन पर था, उनके परिजनों को भी मानस का नाम हटने पर कोई आपत्ति नहीं है.

इस संबंध में याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अलग से हलफनामा जमा किया है और शिकायत नामा में से मानस भूंइया का नाम हटाने का आवेदन किया है. सबंग थाना पुलिस ने मामले की चार्जशीट कोर्ट में जमा की, जिसमें मानस भुइंया का नाम नहीं है. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान आठ अप्रैल को तृणमूल समर्थक जयदेव जाना की हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में जयदेव जाना के परिवार ने मानस भुइंया को भी आरोपी बनाया था.

चार्जशीट से मानस का नाम हटाने से तृणमूल का चरित्र उजागर : कांग्रेस : कोलकाता. कांग्रेस से चार्जशीट से हटाये जाने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कांग्रेस महासचिव मनोज चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल एक नीतिहीन पार्टी है. पहले झूठा मामला दायर कर मानस को फंसाया गया और डरा कर कांग्रेस से तृणमूल में शामिल कराया गया. मानस भुइंया को तो मूल आरोपी बनाया गया था. उनकी जमानत याचिका को भी खारिज करा दिया गया था. ऐसे में उनका नाम चार्जशीट से हटा देना तृणमूल के चरित्र को उजागर करता है.
यह निम्न स्तरीय राजनीति का नमूना है.

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