कोलकाता: केंद्र की ओर से एक बार फिर बंगाल में विभिन्न शिक्षण संस्थानों में रैंगिग को लेकर जागरूकता अभियान तेज करने के लिए कहा गया है. हाल ही में इस तरह का निर्देश कॉलेज प्रिंसिपलों व वाइस चांसलरों को दिया गया है. देश के अन्य शहरों से रैगिंग के कई मामलों की शिकायतों के बाद […]
कोलकाता: केंद्र की ओर से एक बार फिर बंगाल में विभिन्न शिक्षण संस्थानों में रैंगिग को लेकर जागरूकता अभियान तेज करने के लिए कहा गया है. हाल ही में इस तरह का निर्देश कॉलेज प्रिंसिपलों व वाइस चांसलरों को दिया गया है. देश के अन्य शहरों से रैगिंग के कई मामलों की शिकायतों के बाद इसे गंभीरता से लिया जा रहा है.
सभी संस्थानों में रैगिंग को अपराध मानते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कारर्वाई करने की हिदायत दी जा रही है. इसमें यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार काम करने व छात्रों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए कहा जा रहा है. जिन संस्थानों में होस्टल बने हुए हैं, वहां एंटी रैगिंग स्क्वाड को सक्रिय करने व छात्रों के रूम की जांच करने पर जोर दिया जा रहा है. हाल ही में राज्य के विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों व कॉलेज प्रिंसिपलों के साथ उच्च शिक्षा मंत्री ने बैठक कर इस मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया. सभी शिक्षाविदों को रैगिंग की घटनाओं की एक संपूर्ण रिपोर्ट जमा करवाने के लिए कहा गया है.
इस रिपोर्ट में घटनाओं का ब्योरा व दोषियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई का विवरण जमा करने के लिए कहा गया है. इस विषय में उच्च शिक्षा विभाग के एक सूत्र ने बताया कि बंगाल में अभी रैगिंग के काफी कम मामले हुए हैं, फिर भी संस्थानों में सक्रिय रैगिंग प्रतिरोधी कमेटी को लागू करने व यूजीसी के नियमानुसार काम करने के लिए सुझाव दिये जा रहे हैं. कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि कमेटियां कई बार निष्क्रय हो जाती हैं, लेकिन बड़ी कोई घटना होने पर जागरूकता बढ़ जाती है. वैसे इसमें दोषी पाये गये छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसमें छात्रों को कक्षाओं में न बैठने देना. संस्थान व होस्टल से निष्कासन, छात्रों को परीक्षा व स्कॉलरशिप से वंचित करना भी शामिल है.
कई संस्थान ऐसे हैं, जो दोषी पाये जाने पर भी छात्रों के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाते हैं. अब सरकार संस्थानों में रैगिंग रोकने के मामले की स्थिति सुधारने के लिए पूरी तरह तैयार है. कुछ महीने पहले सरकार ने राज्य के लगभग 500 स्नातक कॉलेजों व 21 विश्वविद्यालयों में एंटी रैगिंग पोस्टर के जरिये जागरूकता फैलाने का काम किया. इससे काफी असर पड़ा. जनवरी में यूजीसी ने कड़ी चेतावनी दी थी कि रैगिंग में दोषी छात्रों का रिकार्ड बनायें व उनके खिलाफ कड़ा कदम भी उठायें.