उनका कहना है कि दूर्गापूजा से लेकर दीपावली तक लगभग 100 करोड़ रुपये का कोराबार होता है और यह कारोबार पूरी तरह से चीनी उत्पादों को केंद्रित कर होता है. चूंकि चीनी उत्पादों की कीमत भारतीय उत्पादों के मुकाबले लगभग पांच गुणा कम है तथा उत्पाद आकर्षक हैं, इस कारण ग्राहक चीनी उत्पादों की ओर ही आकर्षित होते हैं. वर्तमान में देश की जैसी परिस्थिति है, एक और पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंक का कहर और दूसरी ओर चीन की मदद. इससे पूरा देश चिंतित है. वे लोग भी समझ रहे हैं कि बाजार में बिकनेवाले चीनी उत्पादों का पूरा लाभ चीन को मिलेगा और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन बाजार में विकल्प उपलब्ध नहीं है. पूर्व अध्यक्ष अरविंद तिवारी बाबा का कहना है कि पहले जब बाजार में चीनी उत्पादों का प्रवेश नहीं हुआ था, हावड़ा सहित कई जिलों में बिजली की लाइटों का निर्माण होता था, लेकिन वह कुटीर उद्योग अब पूरी तरह नष्ट हो गया है. कारीगर बेरोजगार हो गये हैं.
उनका कहना है कि दुकानदार अपना बिजनेस लाभ के लिए करते हैं और लाभ के कारण ही चीन निर्मित उत्पाद को बेच रहे हैं, लेकिन अगर विकल्प उपलब्ध हो, तो भारत निर्मित उत्पाद की बिक्री करने में उन लोगों को खुशी होगी. उन्होंने कहा कि भारत निर्मित उत्पाद ज्यादा टिकाऊ होते हैं, लेकिन चूंकि कीमत उनकी अधिक होती है, इस कारण ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर पाते हैं. चीनी उत्पादों की कोई गारंटी नहीं होती है, लेकिन कम कीमत पर उपलब्ध होने के कारण ग्राहक उसे सहज ही खरीद लेते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महानगर कार्यवाह शशांक शेखर दे का कहना है कि राष्ट्रीय हित में चीन के उत्पादों का बहिष्कार किया जाना चाहिए. चीनी उत्पाद हमें भले की सस्ते में मिल रहे हैं, लेकिन जब हम चीन निर्मित उत्पाद खरीदते हैं, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है.
पाकिस्तान के साथ चीन भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. उनके खिलाफ सेना के जवान लड़ाई लड़ रहे हैं. अपना बलिदान दे रहे हैं, ऐसी स्थिति में चीनी उत्पादों को खरीदने से अंतत: चीन की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी और इसका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ करेगा. यह प्रत्येक भारतीय का फर्ज है कि वह राष्ट्रहित में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करे और देश के उत्पादों का अधिक से अधिक प्रयोग करे.