गौरतलब है कि वाममोरचा के जमाने में राजारहाट-न्यूटाउन उपनगरी तैयार करने के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया था. किसानों का आरोप है कि 21 मौजा की जमीन को बगैर किसी मुआवजा के हिडको ने अपने कब्जे में ले लिया था. मुआवजे भी काफी कम दिया गया था. सिंगूर का उदाहरण पेश करते हुए राजारहाट-न्यूटाउन के किसान उपयुक्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
उनकी मांग है कि जिस जमीन पर निर्माण का काम हुआ है, उसका उचित मुआवजा दिया जाएं, इसके साथ जिस जमीन पर निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है, उक्त जमीन को वापस लौटाया जाये. किसान इसके पहले भी हिडको के सामने प्रदर्शन कर चुके हैं.