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ऋण देने संबंधी नये नियमों पर बैंकों ने जतायी चिंता
कोलकाता: बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक के विशेष तौर पर बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बड़ी कार्पोरेट इकाइयों को ऋण दिए जाने के संबंध में जारी नए मानदंडों पर चिंता जताई है. भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक (अनुपालन एवं जोखिम) पीके गुप्ता ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि […]
कोलकाता: बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक के विशेष तौर पर बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बड़ी कार्पोरेट इकाइयों को ऋण दिए जाने के संबंध में जारी नए मानदंडों पर चिंता जताई है.
भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक (अनुपालन एवं जोखिम) पीके गुप्ता ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि नए मानदंडों से निश्चित तौर पर बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रभावित होंगी. हमने उद्योग के तौर पर आरबीआइ गवर्नर के सामने चिंता जाहिर की है. उनसे कहा है कि वह इस पर गौर करें. बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं विशेष तौर पर नई परियोजनाओं के वित्तपोषण के संबंध में कुछ चिंता हो सकती है.
एक अप्रैल 2017 से शुरू हो रहे इन नए आरबीआइ मानदंडों के मुताबिक किसी विशिष्ट कर्जदार को सामान्य स्वीकृत ऋण सीमा (एनपीएलएल) से अधिक वृद्धिपरक ऋण मिलता है तो इसे ज्यादा जोखिम वाला माना जाएगा और फिर इसके लिये अतिरिक्त प्रावधान करना होगा. इसे ज्यादा जोखिम वाले ऋण के तौर पर माना जाएगा.
श्री गुप्ता ने कहा कि 25,000 करोड़ से अधिक की कोष आधारित ऋण सीमा वाले कर्जदार को 2017-18 के दौरान किसी भी समय बैंकिंग प्रणाली से उसकी वृद्धिपरक ऋण जरूरत का 50 प्रतिशत तक ही ऋण दिया जा सकता है जबकि शेष बाजार या इक्विटी के जरिये जुटाना होगा. उन्होंने संकेत दिया कि साख निर्धारण न होने जैसी वजहों के कारण बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पूरा होने से पहले बाजार से धन जुटाने की क्षमता सीमित होती है. वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान उनकी ऋण सीमा 15,000 करोड़ रुपये तक सीमित रह सकती है और एक अप्रैल 2019 से यह 10,000 करोड़ रुपये ही रह सकती है.
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