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अल्पसंख्यकों को संवैधानिक अधिकार दिलाना हमारा कर्तव्य: मंत्री
पश्चिम बंगाल देश के कुछ उन चुनिंदा राज्यों में से एक है, जहां अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी है. 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 30 प्रतिशत है, जिसमें से अकेले मुसलमानों की आबादी 27.01 है. राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इस राज्य में अल्पसंख्यकों का वोट हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. […]
पश्चिम बंगाल देश के कुछ उन चुनिंदा राज्यों में से एक है, जहां अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी है. 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 30 प्रतिशत है, जिसमें से अकेले मुसलमानों की आबादी 27.01 है. राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील इस राज्य में अल्पसंख्यकों का वोट हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. इसलिए सभी राजनीतिक दल अल्पसंख्यकों को अपने पाले में रखने की भरसक कोशिश करते हैं. हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि वर्तमान शासक दल तृणमूल कांग्रेस के प्रति अल्पसंख्यकों के मोह में कोई कमी नहीं आयी है. राज्य सरकार का भी दावा है कि उसने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काफी कुछ किया है आैर भविष्य में आैर काफी कुछ करने का इरादा है.
इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री ग्यासुद्दीन मोल्ला से बातचीत की हमारे संवाददाता मुश्ताक खान ने.
सवाल : अल्पसंख्यकों का आपकी सरकार के ऊपर आस्था का कारण क्या है?
जवाब : देखिये, कोई भी किसी को यूं ही पसंद नहीं करता है. आपका काम, आपकाव्यवहार एवं आपके इरादे ही लोगों के बीच आपकी छवि बनाने का काम करते हैं. पांच वर्षों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए जितना काम किया है आैर जिस तरह उन्हें सम्मान दिया है, उससे अल्पसंख्यकों का विश्वास हमारी सरकार आैर हमारे दल के प्रति बढ़ता जा रहा है.
सवाल : अपनी सरकार की कुछ उपलब्धियों के बारे में बतायेंगे?
जवाब : शिक्षा के बगैर किसी भी समाज व समुदाय का विकास संभव नहीं है. इसलिए तृणमूल कांग्रेस की सरकार अल्पसंख्यकों में शिक्षा के प्रसार व प्रचार के लिए अब तक एक करोड़ सात लाख अल्पसंख्यक छात्र-छात्राआें को छात्रवृत्ति दे चुकी है. केंद्र की भाजपा सरकार की अड़ंगेबाजी के बगैर हम लोग इसे जारी रखे हुए हैं. उच्च शिक्षा हासिल करने के इच्छुक छात्र-छात्राआें को 16000 करोड़ का ऋण दिया चुका है. एक लाख 70 हजार युवाआें को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलाया गया है. आलिया विश्वविद्यालय को देश का नंबर वन शिक्षण संस्थान बनाने की कोशिश जारी है. इसके लिए हमारी सरकार ने विश्वविद्यालय को 300 करोड़ रुपये दिये हैं. पार्क सर्कस में विश्वविद्यालय का नया कैंपस 75 करोड़ रुपये की लागत से बन कर तैयार हो चुका है. 100 करोड़ की लागत से नया हज टावर तैयार किया जा रहा है.
हम लोगों ने इंगलिश मीडियम के मदरसे भी चालू किये हैं. अल्पसंख्यकों के लिए एक लाख 31 हजार घर बनाये गये हैं. राज्य में 183 मार्केटिंग हब तैयार हो रहे हैं, जिनमें 29000 दुकानें अल्पसंख्यकों को मिलेंगी. 2579 कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवायी गयी है. 19 अल्पसंख्यक भवन तैयार हो चुके हैं. इसके साथ ही हमारी सरकार ने उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा की भी मान्यता दी है. मुख्यमंत्री ने राज्य में अन्य पिछड़ा जाति (आेबीसी) आरक्षण को बढ़ा कर 17 प्रतिशत कर दिया है, जिसका लाभ राज्य के 97 प्रतिशत मुसलमानों काे मिलने लगा है. आरक्षण के कारण 69000 अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने का मौका मिला है. इसके फलस्वरूप मुसलिम समाज के 37 युवक-युवतियां डब्ल्यूबीसीएस अधिकारी बन पाये हैं. इमाम व मुअज्जिन के लिए हमारी सरकार ने पहली बार भत्ता जारी किया. यह तो महज झलक है. अल्पसंख्यकों के विकास के लिए हमारी सरकार ने जो काम किये हैं, उसकी एक लंबी सूची है.
सवाल : स्वतंत्रता के बाद से सांप्रदायिक दंगे अल्पसंख्यकों समुदाय के लिए सबसे बड़ी समस्या रहे हैं. हमेशा उन्हें सुरक्षा का डर सताता रहता है. इस संबंध में आपकी सरकार ने क्या किया है?
जवाब : हमारी सरकार ने अल्पसंख्यकों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने की हरसंभव कोशिश की है. जहां तक सुरक्षा की बात है, अल्पसंख्यक भारत में सबसे अधिक सुरक्षित पश्चिम बंगाल में हैं. जब से हमारी सरकार बनी है, सांप्रदायिक दंगे इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी धर्म के लोगों को आैर करीब लाने का हमेशा प्रयास किया है. यही कारण है कि जहां वह दुर्गापूजा पंडाल का उदघाटन करती हैं, तो ईद के अवसर पर लोगों को मुबारकबाद देने के लिए रेड रोड पहुंच जाती हैं. क्रिसमस के अवसर पर मुख्यमंत्री ईसाइयों को बधाई देने जरूर जाती हैं. पर भाजपा आैर कुछ राजनीतिक दल पश्चिम बंगाल के इस भाईचारे के माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी भी कामयाबी नहीं मिलेगी. पश्चिम बंगाल के लोग सांप्रदायिक राजनीति करनेवालों को कभी भी पसंद नहीं करते हैं. विधानसभा चुनाव में भाजपा एवं जोट को मिली हार से यह बात एक बार फिर सच साबित हो गयी है.
सवाल : विपक्ष का आरोप है कि तृणमूल सरकार काम कम करती है आैर ढिंढोरा अधिक पिटती है.जवाब : यह हमारा नहीं उनका काम है. अगर हम लोग काम नहीं करते आैर झूठे वादों पर लोगों को बहलाने की कोशिश करते, तो राज्य की जनता हमें दूसरी बार चुन कर उनकी सेवा करने का मौका नहीं देती. विकास कार्यों के बल पर एवं समाज के सभी वर्ग को साथ लेकर चलने की हमारी नीति ने हमें 2011 से बड़ी कामयाबी दिलवायी.
सवाल : अल्पसंख्यकों की स्थिति में कितना बदलाव आया है?
जवाब : हम यह नहीं कह सकते हैं कि अल्पसंख्यकों की सभी समस्याआें काे हम लोगों ने हल कर दिया है. क्योंकि वाम मोरचा की सरकार ने 34 वर्षों में अल्पसंख्यकों को जितना नुकसान पहुंचाया आैर आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक, हर स्तर पर उन्हें बरबाद कर के रख दिया था, उसमें बदलाव लाने के लिए थोड़ा आैर समय लगेगा. यह तय है कि अल्पसंख्यकों की स्थिति में पूरी तरह बदलाव आयेगा.
बदलाव का सिलसिला आरंभ भी हो चुका है. सरकारी नौकरियों में उनका प्रतिशत बढ़ने लगा है. उच्च शिक्षा में अल्पसंख्यक छात्रों की अधिक संख्या दिखने लगी है. पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के चलन में काफी कमी आने लगी है. समुदाय में विश्वास बढ़ने लगा है.
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