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दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष एजुकेटर्स की मांग

कोलकाता: राज्य के सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष एजुकेटर्स की नियुक्ति होनी चाहिए. लगभग प्रत्येक स्कूल में इस तरह के दो-तीन या चार बच्चे हैं, लेकिन सरकार की ओर से इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इन विशिष्ट बच्चों की जरूरतों व मानसिकता को समझना सामान्य शिक्षक के बस […]

कोलकाता: राज्य के सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष एजुकेटर्स की नियुक्ति होनी चाहिए. लगभग प्रत्येक स्कूल में इस तरह के दो-तीन या चार बच्चे हैं, लेकिन सरकार की ओर से इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इन विशिष्ट बच्चों की जरूरतों व मानसिकता को समझना सामान्य शिक्षक के बस की बात नहीं है. इसके लिए एक विशेष ट्रेनर की जरूरत है.
ऐसी राय व्यक्त कर रहे हैं, कुछ स्कूलों के हेडमास्टर. हिंदी माध्यम स्कूलों के हेडमास्टरों का कहना है कि जूनियर स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए तीन प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी हैं लेकिन इनके लिए विशेष एजुकेटर्स नहीं हैं. दिव्यांग बच्चों की श्रेणी में सेरेबल पल्सी के शिकार बच्चे भी हैं. उनकी स्थिति व जरूरत समझ कर उनको हैंडल करना सबके बस की बात नहीं है. ऐसे बच्चों के लिए स्कूलों में अलग से रैंप बनवाये जाने की भी सरकार ने घोषणा की थी, लेकिन अभी तक स्कूलों में इसकी व्यवस्था नहीं की गयी है.
गाैरतलब है कि स्कूलों में स्पेशल एजुकेटर्स रखने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग को कोर्ट की ओर से भी आदेश दिया गया है. इसके लिए विभाग के मुख्य सचिव को शो कॉज किया गया है. रीहैबीलीटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमानुसार कम से कम एक स्कूल में दो या तीन विशेष एजुकेटर्स होने चाहिए, लेकिन सरकार इनकी नियुक्ति नहीं कर रही है.

कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग के साथ-साथ स्कूलों में भी इस समस्या को लेकर शिक्षक व हेडमास्टर काफी सचेत हो गये हैं. इस विषय में हावड़ा शिक्षा निकेतन के हेडमास्टर अरविंद राय ने बताया कि प्रत्येक स्कूल में एक या दो या तीन बच्चे इस तरह के होते ही हैं. उनको सामान्य शिक्षक ही पढ़ाते हैं. बच्चों को समस्या तो होती ही है. वहीं भामाशाह आर्य विद्यालय के हेडमास्टर एमपी सिंह ने कहा कि विशेष जरूरतवाले या दिव्यांग बच्चों के लिए सर्व शिक्षा मिशन की ओर से आठ-दस सर्किल में एक शिक्षा बंधु को रखा गया है. शिक्षा बंधु के रूप में एक ट्रेनर स्पेशल बच्चे व पैरेंट्स की काउंसलिंग करते हैं या उनसे मिलकर उनकी समस्या जानने की कोशिश करते हैं. ये शिक्षा बंधु अस्थायी होते हैं. प्रत्येक स्कूल में नहीं हैं. स्पेशल बच्चों के लिए वास्तव में विशेष एजुकेटर्स व ट्रेनर की जरूरत है. ये बच्चे सामान्य बच्चों से अलग हैं. उनके विकास के लिए यह विशेष व्यवस्था स्कूलों में होनी ही चाहिए.

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