कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार के बावजूद पार्टी के अंदर की लड़ाई की वजह से भाजपा की प्रदेश इकाई में असंतोष के संकेत मिल रहे हैं. पार्टी की प्रदेश इकाई के नेताओं का एक वर्ग मौजूदा पदाधिकारियों पर गैर राजनीतिक लोगों को बढ़ावा देने और आरएसएस के कहे पर […]
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार के बावजूद पार्टी के अंदर की लड़ाई की वजह से भाजपा की प्रदेश इकाई में असंतोष के संकेत मिल रहे हैं.
पार्टी की प्रदेश इकाई के नेताओं का एक वर्ग मौजूदा पदाधिकारियों पर गैर राजनीतिक लोगों को बढ़ावा देने और आरएसएस के कहे पर चलने का आरोप लगा रहा है. हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि संस्थागत ढांचे का निर्माण पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. सारे आरोपों को निराधार करार देते हुए उन्होंने कहा कि एक नेता के तौर पर मैंने अपनी क्षमता साबित की है. पार्टी में गुटबाजी करनेवालों को चुनौती देते हुए श्री घोष ने कहा कि कौन हैं वे? यदि उनमें हिम्मत है, तो वे मेरे सामने आकर यह बात क्यों नहीं कहते? यदि मैं गैर राजनीतिक व्यक्ति हूं, तो मेरी सीट समेत तीन सीटें कैसे जीत ली गयीं.
जो ये आरोप लगा रहे हैं, वे खुद लालची हैं तथा उन्हें राजनीतिक पदों और धन के अलावा कुछ और समझ नहीं आता. श्री घोष ने कहा कि मैंने किसी को दरकिनार नहीं किया. मैंने उन्हें नयी जिम्मेदारियां दी हैं. क्या वे हमेशा महासचिव, सचिव और अध्यक्ष ही बने रहना चाहते हैं? प्रदेश भाजपा सचिव एवं प्रवक्ता कृषाणु मित्रा ने कहा कि अपनी खुद की टीम बनाना प्रदेश अध्यक्ष का विशेषाधिकार है.
दूसरी ओर, प्रदेश के एक भाजपा नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा की ओर से आरएसएस प्रचारक दिलीप घोष को कमान सौंपे जाने के बाद से पार्टी की प्रदेश इकाई के भीतर लड़ाई और और गुटबाजी बढ़ गयी है. राहुल सिन्हा के कार्यकाल में पार्टी में अहम पदों पर रहे कई नेताओं को या तो दरकिनार कर दिया गया है या पार्टी के भीतर उनका प्रभाव खत्म हो गया है.
प्रदेश भाजपा के असंतुष्ट तबके ने पार्टी के मामलों में आरएसएस के अतिरिक्त हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया. इसके साथ ही इस तबके का यह भी आरोप है कि उन गैर राजनीतिक तत्वों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिन्हें पार्टी या बंगाल की राजनीति को लेकर कोई विशेष समझ नहीं है. प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि राहुल सिन्हा के कार्यकाल में जो नेता वरिष्ठ पदों पर थे, उन्हें पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है. ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो गैर-राजनीतिक हैं और जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि या समझ नहीं है. भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पर्यवेक्षक सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि किसी को दरकिनार कर देने का सवाल नहीं है. जब भी कोई नया अध्यक्ष पद संभालता है, तो वह अनुभवी लोगों और नये नेताओं, दोनों को ही मिलाकर अपनी टीम बनाता है और बंगाल भाजपा में भी ऐसा ही किया जा रहा है.