इस पर क्या उक्त उम्मीदवार रास्ते पर उतरकर आंदोलन नहीं करेगा? ऐसा क्या विश्वविद्यालय कर सकता है? उल्लेखनीय है कि गत 19 जनवरी को काजी नजरुल विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी कर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किया. बर्दवान विश्वविद्यालय के लेक्चरर अभिज्ञान दत्ता का इंटरव्यू बोर्ड ने लिया. परीक्षा में क्वालिफाई करने के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र मिला.
यह पत्र काजी नजरुल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दिया था जिसमें उन्हें 30 जून को ज्वाइन करने के लिए कहा गया था हालांकि 20 जून को विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि पैनेल को रद्द कर दिया गया है. इसके बाद अभिज्ञान दत्ता ने कलकत्ता हाइकोर्ट में मामला दायर किया. सुनवाई में न्यायाधीश देवांशु बसाक ने कहा कि विश्वविद्यालय के वकील को पूरी जानकारी और निर्देश लेकर 18 जुलाई को अदालत में आना होगा. उस दिन सुनवाई होगी. मामला करनेवाले की ओर से वकील नीलांजन बनर्जी ने इसकी जानकारी दी.