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मानवता के उपासक श्री श्री आनंदमूर्ति

आज आनंद पूर्णिमा पर विशेष आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत कोलकाता : आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्तिजी उर्फ श्री प्रभात रंजन सरकार का आविर्भाव 1921 में वैशाखी पूर्णिमा को बिहार के मुंगेर जिला के जमालपुर में हुआ था. 21 अक्तूबर 1990 को आनंद मार्ग के केंद्रीय कार्यालय तिलजला, कोलकाता में उन्होंने शरीर त्याग दिया. उन्होंने […]

आज आनंद पूर्णिमा पर विशेष
आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत
कोलकाता : आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्तिजी उर्फ श्री प्रभात रंजन सरकार का आविर्भाव 1921 में वैशाखी पूर्णिमा को बिहार के मुंगेर जिला के जमालपुर में हुआ था. 21 अक्तूबर 1990 को आनंद मार्ग के केंद्रीय कार्यालय तिलजला, कोलकाता में उन्होंने शरीर त्याग दिया. उन्होंने आत्मा की मुक्ति के साथ समाज सेवा के उद्देश्य से 1955 में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की.
श्रीश्री आनंदमूर्ति आध्यात्मिक दर्शन के साथ संगीत, भाषा विज्ञान, कृषि विज्ञान, अर्थ शास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, धर्म शास्त्र, नारी मर्यादा, शिशु साहित्य, योग-तंत्र, इतिहास, भारतीय दर्शन, पर्यावरण इत्यादि विषयों पर सैकड़ों पुस्तकें लिखीं. उन्होंने मात्र आठ वर्षों की अवधि में आठ भाषाओं (हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, उर्दू, अंगरेजी, अंगिका, मगही और मैथिली) में 5018 गीत रचे और उन्हें संगीतबद्ध भी स्वयं ही किया, जो प्रभात संगीत के नाम से प्रचलित है. श्रीश्री आनंदमूर्तिजी ने धर्म दो श्रेणियों में विभाजित किया है- पहला स्वाभाविक धर्म और दूसरा भागवत धर्म. स्वाभाविक धर्म का अर्थ है जिसके करने से दैहिक संरचना की पुष्टि हो यानी आहार, निद्रा, भय व मैथुन. भागवत धर्म वह है जो मनुष्य को दूसरे जीवों से पृथक करता है.
स्वाभाविक व भागवत धर्म, दोनों का उद्देश्य सुख पाना है. उनके शब्दों में समस्त जीव जगत से प्रेम करना ही है नव्य-मानवतावाद है. श्रीश्री आनंदमूतिर्जी मूलतः आध्यात्मिक गुरु हैं, किंतु समाज गुरु प्रभात रंजन के रूप में उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक व अार्थिक सिद्धांत दिये, जो संक्षिप्त व सारगर्भित रूप में प्राउत नाम से प्रचलित हुआ. श्रीश्री आनंदमूर्ति ने अपने जीवनकाल में ही 180 देशों में आनंद मार्ग के सन्यासी भेज कर भागवत धर्म का प्रचार करवाया.
विश्वभर में आनंद मार्ग के 1000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय, उच्च विद्यालय, महाविद्यालय, शिशु सदन, अस्पताल, नारी कल्याण केंद्र, अमर्ट द्वारा संचालित सैकड़ों राहत सेवा केंद्र और मास्टर यूनिट प्रोजेक्ट-ग्रामीण विकास परियोजनाएं चलायी जा रही हैं. शनिवार (21 मई) को श्रीश्री आनंदमूर्तिजी की 95वीं जन्म वार्षिकी यानी आनंद पूर्णिमा है.

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